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कौन है सबसे बेहतर बॉस


आज हम 2010 में जी रहे हैं. प्रगति के सबसे तेज दौर में, जहां हम इतने ज्यादा प्रोफेशनल हो गए हैं कि स्त्री और पुरुष में फर्क को ना के बराबर कर दिया है. घर से लेकर ऑफिस हर जगह समानता की लहर दौड रही है. समाज ने भी इस बदलाव को स्वीकार किया है क्योंकि इससे फायदा ही हो रहा है.

1अब बात की जाए महिलाओं और पुरुषों में श्रेष्टता की. जब दोनों एक ही मैदान में है तो लड़ाई तो होगी ही ना. ऑफिस जहां हम और आप अपना अधिकतर समय बिताते हैं, वहां कई बार हमें पुरुष बॉस भी मिलते हैं और कई बार महिला बॉस भी.

अभी हाल ही में ब्रिटेन में कराए गए एक सर्वे से यह बात सामने आई है कि पुरुष किसी भी संस्थान में काम करने वाले लोगों के लिए महिलाओं की तुलना में ज्यादा अच्छे बॉस साबित होते हैं. महिलाएं काम के स्थल पर ज्यादा ‘कठोर बोलने’ और ‘गुस्सा’ करने के कारण संस्थान के प्रमुख के तौर पर लोगों की पसंद नहीं बन पाती हैं. तो वहीं पुरुष बॉस साफ-साफ बात करने वाले और सीधे मुद्दे पर आने वाले साबित होते हैं और यही कारण है कि बॉस के रूप में इन्हें अधिक पसंद किया जाता है. पुरुष कर्मियों का मानना है कि पुरुष बॉस का कोई गर्भनिहित मुद्दा नहीं होता, न ही उसका मिजाज हमेशा बदलता रहता है और न ही वह ऑफिस की राजनीति में जल्दी शामिल होता है. तीन चौथाई पुरुषों ने पुरुष बॉस को वरीयता दी.

मजेदार बात यह है कि एक चौथाई महिलाओं ने अपनी महिला बॉस पर पीठ पीछे आलोचना करने और व्यक्तिगत जीवन को दफ्तर में लाने का आरोप लगाया. एक तिहाई महिलाओं ने यह भी कहा कि महिला बॉस अपने साथी कर्मचारियों से हमेशा खतरा महसूस करती हैं.

tension1_fअसली मुद्दा

लेकिन क्या यही असली मुद्दा है? जी, इसके पीछे की कुछ छुपी बातें यह भी हैं कि ऑफिस में पुरुष महिलाओं के साथ ज्यादा सामंजस्य नहीं बिठा पाते. तो वहीं महिलाएं पुरुषों के साथ आराम से तालमेल बिठा लेती हैं वजह महिला बॉस कई बार पर्सनल मामले और राजनीति की शिकार जल्दी हो जाती हैं.

पुरुष बॉस पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक लोकप्रिय होते हैं. वैसे इसकी एक वजह महिलाओं का पुरुष बॉसों पर लट्टू होना और पुरुष बॉसों का अपनी साथी वर्कर के प्रति संवेदनशील होना भी माना जा सकता है.

आज हर जगह सबको शॉट कट अपनाने की जल्दी होती है. महिला वर्कर्स कई जगह इसी बात का फायदा उठा बॉस को पटा लेती हैं. तो वहीं अगर कोई महिला बॉस हो तो उन्हें काम करने में आजादी तो मिलती है लेकिन जहां तक बात हो बोनस या इन्क्रिमेंट की तो उसमें थोडी दिक्कत आती है.

इसके विपरीत महिला बॉस बडी ही सजग होती हैं. वह अपने प्रोफेशनल व्यवहार में ज्यादा बदलाव पसंद नहीं करती, साथ ही क्योंकि स्त्रियां टाइम मैनेजमेंट ज्यादा अच्छी तरह करती हैं इसलिए महिला बॉस यह पसंद नहीं करती कि उनके वर्कर ज्यादा मस्ती करें.

हालांकि इस सापेक्ष में भारत की दशा देखते हुए यह सर्वे एक बार फिर झूठा लगता है. आजकल ज्यादातर बड़ी और मल्टीनेशनल कंपनियों के सीईओ लेवल के पदों पर स्त्रियां देखने को मिलती हैं और वे अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह निभा रही हैं. दरअसल भारतीय समाज में लड़कियों की परवरिश इस तरह की जाती है कि उनका व्यक्तित्व स्वाभाविक फेमिनिन गुणों से भरपूर होता है. केअरिंग नेचर, व्यवहार कुशलता, भावनाओं पर नियंत्रण और संबंध निभाने की दक्षता जैसे गुण उनकी प्रोफेशनल लाइफ में भी बहुत मददगार साबित होते हैं. इसलिए वे बहुत अच्छी टीम लीडर साबित होती हैं, हमेशा सोच-समझकर निर्णय लेती हैं.

स्त्रियों और पुरुषों में यह युद्ध तो चलता रहेगा, पर कौन बेहतर है इसके लिए एकमत शायद ही कभी बन पाए.

Source: mid-day.com

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