प्यार और दोस्ती दो ऐसे शब्द हैं जो व्यक्ति के जीवन में हर्षोल्लास भर देते हैं. प्यार और दोस्ती का अर्थ ही शायद नज़दीकियों से शुरू होता है. दोनों दशा में आपका अपने साथी के साथ घनिष्ठ रिश्ता बन जाता है. दूरियां नजदीकियां बन जाती हैं और फासले कम होने लगते हैं.
परन्तु प्यार और दोस्ती में सबसे बड़ा फ़र्क विश्वास का है. हालांकि प्यार और दोस्ती की बुनियाद ही विश्वास से शुरू होती है लेकिन प्यार में यही विश्वास डगमगाने लगता है. अमूमन एक प्रकार का डर या भय तारी हो जाता है कि कहीं सच कहने से प्यार में फ़र्क ना आ जाए और यही भय अविश्वास का कारण बनने लगता है. जबकि दोस्ती में विश्वास का कोई तुल्य नहीं होता. दोस्ती में विश्वास इतना गहरा होता है कि दोस्त हमारी सभी घटनाओं का सहभागी बन जाता है. और यही विश्वास की राह आगे चलकर आपके जीवन डगर में बदलाव लाती है.
लेकिन अमूमन यह देखा गया है कि भले ही दोस्ती में विश्वास अधिक होता है लेकिन इसके बावज़ूद जब बात प्यार और दोस्ती में किसी एक को चुनने की हो तो प्यार दोस्ती पर हावी हो जाता है.
प्यार या दोस्ती
ऑक्सफोर्ड में विकासवादी जीव विज्ञान के अग्रणी विशेषज्ञ प्रोफेसर रॉबिन डनबर का कहना है कि “जब आपका किसी के साथ रोमांटिक रिश्ता बनता है तो उस दशा में यह देखा गया है कि आपका अपने कुछ दोस्तों से नाता खत्म हो जाता है.
प्रोफेसर रॉबिन डनबर के अनुसार “अमूमन एक लड़के के जीवन में चार से पांच बहुत नज़दीकी दोस्त होते हैं और एक लड़की के छः से सात. यह वह दोस्त होते हैं जिनके साथ आप अपना सब कुछ बांटते हैं. परन्तु जब आपकी जिंदगी में प्यार आता है तो आपकी अपने प्यार से नजदीकियां बढ़ने लगती हैं और आप ऐसी स्थिति में अपने साथी को छोड़ना नहीं चाहते. परन्तु अगर आप उस समय भी अपने दोस्तों से बहुत नज़दीक होते हैं तो आपके प्रिय या प्रियसी को उस समय यह डर लगने लगता है कि कहीं प्यार की राह में दोस्ती अड़ंगा ना पैदा कर दे. और ऐसी स्थिति में वही प्यार आपसे दोस्त और प्यार में से किसी एक को चुनने को कहता है. और तब बावरा मन ह्रदय की सुनकर प्यार को चुनता है.
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