आधुनिकता की ओर बढ़ते कदम ने जिंदगी की रफ़्तार इतनी बढ़ा दी है कि मनुष्य इस रफ़्तार के साथ जीने के प्रयास में अपने शरीर को कष्ट दे रहा है.
सारे दिन की थकान के बाद सभी की गुहार होती है ‘दो क्षण आराम’. इस दो क्षण के आराम से जीवन में नई ताज़गी और स्फूर्ति का संचार होता है. लेकिन कथनी और करनी में बहुत फ़र्क है, चाहत तो सभी की बहुत कुछ करने की होती है लेकिन हमेशा कुछ ऐसा हो जाता है जो कहने को मजबूर कर देता है कि ‘काश ऐसा हो पाता’. सदियों से चले आ रहे इस नियम की सार्थकता आधुनिक समय में बहुत बढ़ गयी है और वह भी तब जब हमें समय कम लगने लगा है. स्थिति ऐसी हो गयी है कि अब आराम के लिए समय नहीं है. पुरुषों को काम-काज से फुर्सत नहीं है, महिलाएं अब घर के काम के साथ ऑफिस जाने लगी हैं अतः उनके पास भी समय नहीं हैं और बच्चों के पास तो हमेशा से ही समय के अभाव रहता है, परीक्षा से पहले पढ़ने के लिए उन्हें समय नहीं मिलता और जितना भी उन्हें खेलने को दे दो वह उन्हें कम लगता है. स्थिति इतनी गंभीर हो गयी है कि मनुष्य जीवन अनिद्रा से प्रभावित हो रहा है.
दांपत्य जीवन को खतरा
अक्सर हम अपने जीवनशैली को कोसते हैं कि भाग-दौड़ की जिंदगी में हमें सोने और आराम करने का समय नहीं मिलता. हमारा यह कोसना सही भी है क्योंकि अगर हम अपने शरीर को उचित आराम नहीं देते हैं तो इससे हमारे दांपत्य जीवन में खतरा उत्पन्न हो सकता है.
ब्रिटेन के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य फाउंडेशन के द्वारा कराए गए ऑनलाइन शोध से यह पता चलता है कि अगर कोई भी मनुष्य अनिद्रा से प्रभावित है तो इससे उसके जीवन में दुष्प्रभाव पड़ता है. अनिद्रा के कारण उसका उसके जीवनसाथी से मनमुटाव और चिड़चिड़ापन बढ़ता है, उसे डिप्रेशन की शिकायत रहती है और मन में एकाग्रता की कमी आती है. नतीजन अनिद्रा के कारण मनुष्य के जीवन में रिश्तों के प्रभावित होने की संभावना में चार गुणा की बढोत्तरी होती है.
मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ डैम रोमोथैम का कहना है कि अनिद्रा से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है जिससे हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की आशंका तीन गुणा ज्यादा हो जाती है.
अब यह आप पर है कि जीवनशैली में क्या-क्या बदलाव लाएं. कुछ करें न करें लेकिन सोने से कोई समझौता न करें.
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