सैन्य अधिकारी, जिनके हाथ में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है और जिनसे यह उम्मीद की जाती है कि वह अपने राष्ट्र के प्रति पूर्ण रूप से ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति समर्पित रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, लेकिन अगर वही अपनी सभी जिम्मेदारियों को दरकिनार कर धोखा देने पर पर उतर आएं तो ?
घबराइए नहीं यहां बात देशद्रोह या राष्ट्रद्रोह की नहीं बल्कि वैवाहिक जीवन में सैन्य अधिकारियों द्वारा की जाने वाली धोखेबाजी की हो रही है. एक नई अमेरिकी रिसर्च ने इस बात को प्रमाणित कर दिया है कि गैर-सैन्य क्षेत्र वाले पतियों की अपेक्षा देश के प्रति जिम्मेदार सैन्य अधिकारी, जरूरत पड़ने पर अपनी पत्नी के साथ धोखा करने और विवाहेत्तर शारीरिक संबंध बनाने में कहीं ज्यादा आगे हैं.
वर्ष 1992 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण से एकत्र आंकड़ों को आधार बना इस शोध ने स्थापित किया है कि 32% से भी ज्यादा सैन्य अधिकारियों ने अपने जीवनसाथी के साथ धोखा किया है. यह आंकड़ा गैर-सैन्य अधिकारियों की तुलना में दोगुना है.
उल्लेखनीय है कि अधिकांश सेना के अधिकारी अपने परिवार से दूर यूनिट या छावनी में रहते हैं इसीलिए उन्हें हमेशा यही डर सताता रहता है कि वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रहते इसीलिए कहीं ना कहीं उनकी पत्नी भी उनके साथ बेवफाई कर रही होगी. अपने इसी वहम के कारण वह अवैध संबंधों की ओर आकर्षित होते हैं. उन्हें लगता है कि जब उनकी पत्नी उनके साथ बेवफाई कर सकती है तो वह भी ऐसा कर सकते हैं. इसी कारण सैन्य अधिकारियों और उनकी पत्नियों के बीच तलाक के आंकड़े भी अन्य तलाकशुदा दंपत्तियों की अपेक्षा कहीं अधिक हैं.
मुख्य शोधकर्ता एंड्र्यूज एस. लंदन का कहना है कि सैन्य अधिकारी, अपनी पत्नी की बेवफाई को अपने विवाहेत्तर संबंधों के लिए प्रमाण पत्र मान लेता है. उसे अपना यह आचरण वैध लगता है, जिसकी वजह से उसे कभी भी ऐसा नहीं लगता कि उसने कुछ गलत किया है.
प्राय: देखा जाता है कि विदेशों में पति और पत्नी के साथ रहने की परिस्थितियों में दोनों में से एक तो बेवफाई में लिप्त होता ही है, ऐसे में अगर पति अपने परिवार से दूर जीवन व्यतीत कर रहा है तो इससे बेवफाई की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं. ऐसा नहीं है कि वे दोनों अपने संबंध को स्थायी नहीं रखना चाहते या एक-दूसरे के साथ खुश नहीं हैं. बल्कि पति-पत्नी द्वारा की जाने वाली इस बेवफाई के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि विदेशों में शारीरिक संबंध कुछ खास अहमियत नहीं रखते. इसका अनुसरण आम दिनचर्या के एक सामान्य घटनाक्रम या आवश्यकता की तरह ही किया जाता हैं. इसके अलावा संयम और प्रतिबद्धता जैसे गुणों का भी पाश्चात्य लोगों के जीवन में ज्यादा महत्व नहीं है. ऐसी जीवन शैली में विवाहेत्तर संबंध बनाना सामाजिक या व्यक्तिगत रूप से गलत नहीं कहा जा सकता.
लेकिन अगर यही बात हम भारत के संदर्भ में देखें तो यहां विवाह पति-पत्नी का आपसी मसला ना होकर पूरे परिवार से संबंधित होता है. इसीलिए वैवाहिक जोड़े का आचरण पूरे परिवार की साख को प्रभावित करता है. इसके अलावा हमारे समाज में शारीरिक संबंधों की सीमा तय की गई है. यह पति-पत्नी का निजी मसला और केवल उन्हीं से ही संबंधित है. अगर कोई इस दायरे से बाहर निकलकर संबंध बनाता है तो उसे हमारे समाज की घृणा और उपेक्षा का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं महिला हो या पुरुष दोनों ही अपने वैवाहिक जीवन के महत्व को भली-भांति समझते हैं, इसीलिए पति चाहे घर से बाहर रहें या परिवार के साथ, बेवफाई करने के बारे में सोचना भी उनके लिए मुश्किल होता है. लेकिन हां, हर परिस्थितियों और घटनाओं के अपवाद जरूर होते हैं. यह तथ्य यहां भी समान रूप से लागू होता है. हम इस बात को नकार नहीं सकते कि भारत में भी कुछ पुरुष और महिलाएं अपने जीवन साथी को धोखा देने से नहीं हिचकते. लेकिन यह सब परिवार और समाज से गुप्त रखा जाता है, क्योंकि वह जानते हैं कि अगर उनकी बेवफाई और धोखाधड़ी सबके सामने आ गई तो ना तो उनका परिवार और ना ही समाज उन्हें माफ करेगा.
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