नशे की लत व्यक्ति पर शारीरिक और मानसिक रूप से आघात करने के साथ उसके परिवार पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है. नशे की हालत में उसे यह तक पता नहीं रहता कि वो किस के साथ कैसा बर्ताव कर रहा है. छोटी सी कहासुनी पर किसी के साथ मारपीट और घरेलू हिंसा इसी लत के बेहद घृणित उदाहरण हैं.
वेन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा कराए गए एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि केवल मारपीट ही नहीं बल्कि महिलाओं के प्रति होने वाली बलात्कार जैसी आपराधिक वारदातें भी कहीं ना कहीं अत्याधिक नशे की आदत से ही जुड़ी हुई हैं.
इस सर्वेक्षण की स्थापना के अनुसार जो लोग पहले से ही आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं, नशा करने के बाद उनके लैंगिक अपराध करने की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं.
इस सर्वेक्षण में 356 पुरुषों को शामिल किया गया था. जिसमें से लगभग 32 प्रतिशत लोगों ने नशे की हालत में ऐसे अपराध किए हैं. क्योंकि अन्य लोगों की तुलना में उनकी महिलाओं के प्रति रुचि और शारीरिक संबंधों के प्रति आकर्षण अत्याधिक बढ़ जाता है. वहीं अगर व्यक्ति आक्रामक स्वभाव वाला है तो वह खुद पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं रख पाता और नशे की हालत में वह महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ तक कर बैठता है.
इस स्टडी से जुड़ी मुख्य शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी की प्राध्यापक एंटोनिया एब्बी का मानना है कि ऐसी वारदातों में नशे की भूमिका को जितनी स्पष्टता के साथ समझा जाएगा, उतना ही ऐसे अमानवीय वारदातों की रोकथाम में सहायता मिलेगी.
एक अन्य शोध पत्रिका ड्रग एंड अल्कोहल रिव्यू की रिपोर्ट के अनुसार जिसमें लैंगिक अपराध और शराब के संबंध से जुड़े मामलों का अध्ययन कर यह बात पता लगाई गई है कि अधिकांश ऐसी घटनाएं उन्हीं व्यक्तियों द्वारा की गई हैं, जिन्होंने उस समय अत्याधिक शराब का सेवन किया हुआ था.
भले ही यह सर्वेक्षण विदेशी आंकड़ों पर आधारित हो, लेकिन भारतीय परिदृश्य में भी शराब के सेवन और उससे जुड़ी समस्याओं से मुंह नहीं फेरा जा सकता. ऐसा अकसर देखा जाता है कि जब अत्याधिक नशा कर लेने के कारण व्यक्ति खुद पर काबू नहीं रख पाता और छोटी सी बात पर भी वह अपनी पत्नी और बच्चों पर हाथ उठा देता है. निम्न और मध्यम आय वर्ग से संबंधित परिवारों में पत्नी के प्रति बढ़ती यौन हिंसा का सबसे बड़ा कारण यह नशा ही है. पारिवारिक वातावरण की बात छोड़ भी दी जाए तो ऐसे व्यक्ति समाज के लिए भी हानिकारक ही सिद्ध होते हैं. एक तो उनका स्वभाव पहले से ही अनियंत्रित और आक्रामक होता है. ऊपर से शराब जो एक उत्तेजक पदार्थ है, उनके भीतर कामेच्छा विकसित कर उन्हें घृणित अपराध करने के लिए प्रेरित करती है.
हम यह मान लेते हैं कि शराब ही ऐसे सभी अपराधों की जड़ है, लेकिन व्यक्ति के इस अमानवीय बर्ताव के लिए सिर्फ नशा ही नहीं उसका अपना व्यक्तित्व भी उतना ही उत्तरदायी होता है. भले ही शराब का नशा उसके सही और गलत को समझने की शक्ति को काम नहीं करने देता, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर ही होता है जो पहले से ही नकारात्मक व्यक्तित्व और आक्रामक स्वभाव वाले होते हैं.
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