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शारीरिक संबंधों संबंधी जानकारी के लिए पाश्चात्य विशेषज्ञों को बेहतर मानते हैं पुरुष

man using computerशारीरिक संबंधों के विषय में जहां पाश्चात्य देश हमेशा से ही खुले विचारों वाले रहे हैं, वहां महिला और पुरुष के बीच विवाह से पूर्व संबंध स्थापित होना या फिर विवाहेत्तर संबंधों में संलिप्त होना कोई बड़ी बात नहीं है. इसका एक कारण यह भी है कि विदेशी लोगों के लिए शारीरिक संबंध मात्र उनकी जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका भावनाओं और परंपराओं से कोई खास लेना-देना नहीं है. वहीं भारतीय परिप्रेक्ष्य में आज भी शारीरिक संबंध भावनाओं और पारस्परिक रिश्तों के एक सामाजिक दायरे में बंधे हुए हैं. यहां तक कि सार्वजनिक रूप से इनके विषय में किसी से बात करना तक असहज हो जाता है. यही वजह है कि पाश्चात्य देशों में पुरुष किशोरावस्था में ही इन संबंधों के विषय में जानना-समझना शुरू कर देता है, लेकिन भारत समेत अन्य एशियाई देशों में वयस्क पुरुषों को भी इस विषय में उपयुक्त जानकारी नहीं हो पाती.


एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय उपमहाद्वीप और मध्यपूर्वी देशों के ज्यादातर पुरुष शारीरिक संबंधों और उनसे जुड़ी समस्याओं का हल खोजने के लिए संबंधित विदेशी संस्थानों की वेबसाइटों पर निर्भर रहते हैं. अगर संबंध स्थापित करने में उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो वे फोन और ई-मेल के जरिये विदेशी चिकित्सकों और विशेषज्ञों से ही सलाह लेना बेहतर समझते हैं.


लंदन स्थित सेक्सुअल एडवाइस एसोसिएशन द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण के मुख्य शोधकर्ता जॉन टोमिलसन, जो नौ वर्षों से पुरुष स्वास्थ्य और उनकी समस्याओं के लिए काम कर रहे हैं, का कहना है कि लगभग दो-तिहाई पुरुषों ने शारीरिक संबंध स्थापित ना कर पाने और इनमें दिलचस्पी ना होने की शिकायत के चलते विदेशी संस्थानों से सुझाव मांगा है. उनका यह भी कहना है कि संबंधित पुरुष ई-मेल से ज्यादा सीधे फोन पर बात करना सहज समझते हैं. इसीलिए अधिकतर पुरुष फोन पर वार्तालाप करना ही ठीक समझते हैं और अगर ऐसा ना हो सके तो वे ई-मेल का सहारा लेते हैं. एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2009-2010 में आई 5,531 फोन कॉल और 2,160 ई-मेल में इन समस्याओं का समाधान मांगा गया है. इतना ही नहीं 673 ई-मेल में पुरुषों ने यह आग्रह किया है कि उन्हें इन समस्याओं के निवारण हेतु विस्तृत जानकारी दी जाए. जिनमें से 71 प्रतिशत पुरुष लंदन के और 23 प्रतिशत बाहरी पुरुष थे. गौर करने वाली बात यह है कि इनमें 21-30 वर्ष के पुरुष ज्यादा हैं जो ऐसी समस्याओं का समाधान ई-मेल से लेना बेहतर समझते हैं.


शोधकर्ताओं का कहना है कि पुरुष सबसे ज्यादा शारीरिक संबंध स्थापित ना कर पाने और उस दौरान आने वाली लगभग सभी परेशानियों का हल जानने के लिए उनसे संपर्क करते हैं. 31-40 आयु वर्ग के पुरुष जहां सहज ढंग से संबंध स्थापित कर पाने में खुद को विवश पाते हैं, वहीं 41-50 आयु वर्ग के लोग शारीरिक संबंधों में दिलचस्पी ना रह जाने के कारण विदेशी संस्थानों के विशेषज्ञों की राय चाहते हैं.


भारतीय पुरुषों और उनकी शारीरिक संबंध संबंधी समस्याओं पर आधारित इस शोध के नतीजे वर्तमान हालातों के मद्देनजर ज्यादा हैरानी पैदा करने वाले नहीं प्रतीत होते. इसका मुख्य कारण यह है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष शारीरिक संबंधों के लिए प्रति अधिक आकृष्ट रहते हैं. यद्यपि भारतीय समाज आज भी किसी भी विषय पर खुद को सहज रूप से प्रस्तुत नहीं कर पाता तो ऐसे में लाजमी है कि पुरुष अपनी समस्याओं के लिए विदेशी विशेषज्ञों पर निर्भर करेंगे.

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वहीं दूसरी ओर भारतीय पुरुषों का विदेशी जानकारी के प्रति झुकाव ज्यादा होने का एक कारण यह भी है कि यहां तथ्यात्मक जानकारी देने वाले कम और भटकाव पैदा करने वाले सुझाव मिलने की उम्मीद ज्यादा रहती है. इसीलिए पुरुष पाश्चात्य संस्थान जैसे सुरक्षित विकल्प को ही बेहतर मानते हैं.

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