विवाह हर व्यक्ति के जीवन का एक ऐसा पड़ाव होता है जो उसके आगामी जीवन की खुशियां और सफलता को निर्धारित करता है. विवाह के महत्व को आंकते हुए अभिभावक पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही इससे संबंधित कोई भी निर्णय लेते हैं. इसमें संबंधित युवक-युवती और उनके परिवार के विषय में अपनी शंकाएं दूर करना सबसे प्रमुख कारक होता है.
विवाह से संबंधित एक और बड़ी प्राथमिकता यह भी है कि युवती की उम्र युवक से कम हो. इसके पीछे कई पारिवारिक मान्यताएं विद्यमान हैं. कुछ लोगों का मानना है कि अगर युवती की आयु अधिक होगी तो इससे पति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, कई लोग यह भी मानते हैं कि अगर पत्नी की आयु पति से बड़ी होगी तो उन दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित होना असंभव है. हालांकि इन सब मान्यताओं का कोई ठोस आधार नही दिया गया. लेकिन एक लंबे समय से ऐसी मानसिकता हमारे मस्तिष्क में घर किए हुए है.
बदलते दौर के साथ ऐसी मानसिकता भी फीकी पड़ जाती है. वर्तमान समय में कई ऐसे मामले हमारे सामने हैं जिनमें पति की आयु पत्नी से कम है, या फिर दोनों की आयु में ज्यादा अंतर नहीं है.
एक नए रिसर्च के अनुसार वैवाहिक संबंध में अगर पत्नी की उम्र पति से पांच वर्ष कम होती है तो दंपत्ति एक-दूसरे के साथ ज्यादा प्रसन्न रहते हैं. इसके अलावा ऐसे जोड़े अपेक्षाकृत अधिक समझदार भी कहे जा सकते हैं.
जेनेवा स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा किए एक सर्वेक्षण में यह बात प्रमाणित हुई है कि पत्नी अगर अपने पति से 27 प्रतिशत समझदार होती है तो ऐसे वैवाहिक संबंध सफल संबंधों की श्रेणी में आते हैं.
19 से 75 आयु वर्ग के जोड़ों पर किए गए इस रिसर्च से शोधकर्ताओं ने एक और बात प्रमाणित की है कि वैवाहिक संबंध में पत्नी का ज्यादा पढ़ी-लिखी होना फायदेमंद होता है.
इस विदेशी अध्ययन को अगर भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखा जाए तो यहां वैवहिक संबंध में उम्र का महत्व कहीं अधिक है. इसके पीछे जो पारिवारिक मान्यताएं हैं, भले ही वह थोड़ी रुढ़िवादी प्रतीत होती हों, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर भी इस व्यवस्था को तर्क संगत करार दिया गया है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि लड़कियां, लड़कों की अपेक्षा शारीरिक और मानसिक रूप से जल्दी परिपक्व हो जाती हैं. एक औसत 20 साल की लड़की की सोचने-समझने की क्षमता एक 25 साल के लड़के के बराबर होती है. ऐसे में अगर वैवाहिक दंपत्ति समान आयु के होते हैं तो निश्चित तौर पर उनके बीच सामंजस्य बैठ पाना कठिन हो सकता है. अगर किसी कारणवश उन दोनों के बीच मतभेद उत्पन्न होते हैं, तो उसका निपटारा कर पाना मुश्किल हो जाएगा. इसीलिए इस समस्या से निपटने का एकमात्र विकल्प यही है कि विवाह सूत्र में बंधने वाली लड़कियों की उम्र लड़कों से कम हो. इसका अंतर न्यूनतम पांच वर्ष का होना चाहिए.
विवाहित युवती और युवक के बीच उम्र का फासला दोनों के आपसी संबंधों को मजबूती देने के साथ-साथ दोनों के स्वाभिमान और अधिकारों को भी आहत होने से बचाता है. परिणामस्वरूप उन दोनों के बीच सामंजस्य और प्रेम बना रहता है.
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