एक समय था जब कंप्यूटर और इंटरनेट का सपना बहुत महंगा समझा जाता था. समय बदलने के साथ सपनों की कीमत भी घटने लगी. आधुनिक तकनीकों के विकास और प्रचार के कारण आज इंटरनेट चलाने के लिए कंप्यूटर के सामने बैठना भी जरूरी नहीं रह गया है. आज बाजार में अत्याधुनिक तकनीकों से लैस ऐसे गैजेट उपलब्ध हैं जिनकी सहायता से आप चलते फिरते भी इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं.
वैसे तो सोशल नेटवर्किंग साइटें डेस्कटॉप के जमाने से ही प्रचलित हो गई थीं लेकिन अब इंटरनेट की सुविधा सहज होने के कारण फेसबुक और ट्विटर जैसी साइटें विशेषकर युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो गई हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि इन साइटों के माध्यम से युवा अलग-अलग क्षेत्रों और देशों में रहने वाले लोगों के संपर्क में तो आते ही हैं साथ ही उनकी जानकारी का पक्ष भी मजबूत होता है. खास बात यह है कि अब स्मार्ट फोन की सहायता से उन्हें यह सब चलते-फिरते भी उपलब्ध हो सकता है.
लेकिन एक नई स्टडी के अनुसार युवा इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग ना सिर्फ दोस्त बनाने के लिए बल्कि गर्ल-फ्रेंड और ब्वॉय फ्रेंड ढूंढने के लिए भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं वह अपने साथी के संपर्क में रहने के लिए भी इंटरनेट पर मौजूद सोशल नेटवर्किंग साइटों का ही सहारा लेते हैं.
सोशल नेटवर्किंग साइट बडू डॉट कॉम द्वारा किए गए इस अध्ययन में शामिल हर 3 में से 1 ब्रिटिश व्यक्ति काम की व्यस्तता के चलते ऑनलाइन डेटिंग को ही अनुसरण करता है. वहीं 6 में से 1 अपने साथी से पार्टी में और 12 में से 1 अपने साथी से विशेष मुलाकात के जरिए मिलना चाहता है.
उल्लेखनीय है कि हर पांच में से तीन प्रेमी जोड़े इंटरनेट पर मिलने के बाद ही प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से मिले थे.
डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार बडू डॉट कॉम से जुड़ी जेसिका पॉवेल का कहना है कि पहले के समय में किसी लड़का-लड़की का ऑनलाइन बात करना गलत माना जाता था लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है. युवा एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और प्रेम संबंध बना लेते हैं.
पॉवेल का यह भी कहना है कि बदलती जीवनशैली के कारण आजकल किसी के पास भी इतना समय नहीं है कि वह प्रत्यक्ष रूप से मिल सकें इसीलिए वह नेट पर बात कर खुद को संतुष्ट कर लेते हैं. दोस्त सभी के लिए जरूरी होते हैं इसीलिए किसी नए व्यक्ति के साथ समय बिताने की बजाय व्यक्ति उपलब्ध समय को दोस्तों को समर्पित करना ही बेहतर समझते हैं.
विदेशी युवाओं की मानसिकता को अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखें तो हम यह कह सकते हैं कि अब भारतीय युवा भी ऑनलाइन डेटिंग को स्वीकारते जा रहे हैं. सोशल नेटवर्किंग साइटों पर मिलने के बाद वह एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं और प्रेम संबंध को स्वीकार लेते हैं. एक-दूसरे को बिना जाने वह संबंध बनाए रखने का निर्णय ले लेते हैं.
व्यस्त दिनचर्या और काम की अधिकता के बीच समय ना मिल पाने के कारण वह भौतिक रूप से नहीं मिल पाते इसीलिए इंटरनेट चैटिंग की सहायता से वह आसानी से एक-दूसरे से संपर्क कर लेते हैं.
उल्लेखनीय है कि हमारे युवाओं के बीच प्रेम संबंध की जगह अफेयर की शब्दावली ज्यादा प्रचलित है इसीलिए वह अपने आकर्षण को अफेयर का आधार बना लेते हैं. निश्चित रूप से ऐसे संबंध स्थायी नहीं होते और ना ही इन संबंधों में प्रतिबद्धता और समर्पण की मांग होती है. संबंधित जोड़ा जब चाहे इस संबंध से छुटकारा पा सकता है.
इन संबंधों के प्रचलन के कारण ही आज प्रेम संबंधों के औचित्य पर प्रश्न चिह्न लग चुका है. युवा किसी एक के साथ बंध कर नहीं रहना चाहते और अपनी सहूलियत के हिसाब से संबंध रखना चाहते हैं इसीलिए उन्हें शॉर्ट टाइम संबंध ज्यादा आकर्षित करते हैं.
अगर किसी कारणवश संबंध-विच्छेद हो जाए तो युवा इन संबंधों के टूटने का दुख नहीं मनाते बल्कि नई खोज की शुरूआत करते हैं.
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