सच्चे प्यार की तलाश सभी को रहती है लेकिन यह भी हम भली-भांति जानते हैं कि सच्चा प्यार सभी को नहीं किसी-किसी को ही मिलता है. भले ही युवक अपने जीवन में एक ऐसी युवती का इंतजार करते हों जो उन्हें और उनके परिवार को समझे और उसे स्वीकार कर ले, लेकिन निश्चित रूप से युवतियों को अपने मिस्टर राइट का इंतजार अपेक्षाकृत अधिक रहता है. इसीलिए किशोरावस्था में पहुंचते ही वह अपने मिस्टर राइट की खोज शुरू कर देती हैं. यहीं से शुरू होता हैं डेटिंग का सिलसिला. जब तक उन्हें अपना मिस्टर राइट नहीं मिलता वह उम्मीद लगाए रहती हैं.
एक नए अध्ययन के अनुसार 24 पुरुषों के साथ डेट पर जाने के बाद एक युवती अपने मिस्टर राइट को ढूंढ पाती है. उसके लिए मिस्टर राइट की तलाश करना जितना मुश्किल होता है उतना ही महंगा भी साबित होता है.
लंदन की यू.के. डेटिंग डॉट कॉम के अनुसार एक औसत महिला अपने जीवन में 2,000 पाउंड्स खर्च करने के बाद ही अपने मिस्टर राइट से मिल पाती है. हो सकता है कुछ लोगों को यह आंकड़ा थोड़ा चौंकाने वाला लगे लेकिन इस अध्ययन ने यह साबित किया है कि डेट पर जाकर पैसे सिर्फ पुरुषों के ही खर्च नहीं होते बल्कि हर एक डेट पर महिलाएं भी लगभग 83 पाउंड व्यय कर देती हैं.
वैज्ञानिकों की मानें तो जहां परंपरागत तौर पर डेट पर पुरुष खाने-पीने और घूमने-फिरने में धन व्यय करते हैं वहीं महिलाएं भी डेट पर जाने के लिए खुद को तैयार करने में अधिक धन व्यय कर देती हैं. मेक-अप, कपड़े और बाल इन सब को संवारने में वह बहुत पैसा खर्च करती हैं. इतना ही नहीं अध्ययन में शामिल सात प्रतिशत महिलाएं तो 41-65 पुरुषों से मिलने के बाद यह निर्णय कर पाई थीं कि उनका मिस्टर राइट कौन है. वहीं मिस्टर रॉंग से मिलने के कारण कुछ तो डेट की शुरूआत में ही वहां से निकल गईं.
इस विदेशी अध्ययन को अगर हम भारतीय परिवेश के अनुसार देखें तो यहां भी डेटिंग संस्कृति बहुत लोकप्रिय है. युवाओं के लिए डेट पर जाना एक आदत सी बन गई है. पैसों और भावनाओं की परवाह किसे बगैर वे डेटिंग करते हैं और मन भर जाने पर दूसरे व्यक्ति से किनारा कर लेते हैं. उन्हें समझना चाहिए कि मिस्टर राइट की तलाश करने के लिए इतना अधिक धन व्यय करना और अपने अनमोल समय को बर्बाद करना किसी भी रूप में सही नहीं है. पैसे से प्रेम खरीदा जाता तो शायद आज सच्चा प्यार मिलना इतना दुर्लभ ना होता.
मिस्टर राइट की तलाश करना या उसके आने की उम्मीद करना कोई बुरी बात नहीं है. लेकिन इसका अनुसरण कितना किया जाना चाहिए यह बात गंभीरता से विचार योग्य है. मौज-मस्ती के लिए डेटिंग करना भले ही आजकल का एक फैशन हो लेकिन यह किस सीमा तक और कितना आवश्यक है इस बात का निर्णय उन्हें खुद ही लेना होगा.
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