लिंग अनुपात में अंतर भले ही संबंधित राष्ट्र में महिलाओं की स्वीकार्यता पर सवाल खड़ा करता हो लेकिन एक नए अध्ययन ने यह बात प्रमाणित की है कि जिन राष्ट्रों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या बराबर होती है वहां नैतिकता और मर्यादा जैसे मसलों का कोई स्थान नहीं होता. ऐसे देशों में महिलाओं और पुरुषों में विवाह से पहले या विवाह के पश्चात अन्य लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने की प्रवृत्ति मुख्य रूप से विद्यमान रहती है.
फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी से जुड़े मनोवैज्ञानिक और इस स्टडी के मुख्य शोधकर्ता रॉय बॉमिस्टर का कहना है कि जिन राष्ट्रों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या में ज्यादा अंतर या असमानता नहीं होती, ऐसे राष्ट्रों के नागरिक एक से अधिक लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने में रुचि रखते हैं.
बॉमिस्टर और उनके सहायकों ने 37 देशों से जुड़े आंकड़ों, जिसमें 317,000 लोगों पर हुए अंतरराष्ट्रीय सेक्स सर्वे के नतीजे भी शामिल थे, का आंकलन कर यह प्रमाणित किया है कि ऐसे देश जहां महिला और पुरुष समान संख्या में होते हैं वहां कम आयु में सेक्स, एक से अधिक लोगों के साथ शारीरिक संबंध और विवाह से पूर्व शारीरिक संबंध की स्वीकार्यता जैसी व्यवस्था भी पाई जाती है. लेकिन जहां महिलाओं की संख्या कम होती हैं वहां परिस्थितियां इससे ठीक उलट होती हैं.
बॉमिस्टर का कहना है कि कम संख्या में होने के कारण महिलाएं, पुरुष के साथ आजीवन समर्पण और प्रतिबद्धता की तलाश में रहती हैं. वह एक ऐसे व्यक्ति के साथ ही शारीरिक संबंध बनाना पसंद करती हैं जो उन्हें सुरक्षा और समर्थन दे, ऐसे में विवाह ही एकमात्र साधन रह जाता है. इसीलिए वह हमेशा एक योग्य पुरुष की ही तलाश में रहती हैं. यही कारण है कि लिंग अनुपात में असामानता वाले देशों में विवाह पूर्व संबंध कम ही देखे जाते हैं.
टेक्सस यूनिवर्सिटी से जुड़े समाजशास्त्री और प्रीमैरिटल सेक्स इन अमेरिका के लेखक मार्क रेगनरस का कहना है कि सेक्स जैसा विषय मांग और आपूर्ति से संबंधित है. पुरुष महिलाओं से कहीं ज्यादा शारीरिक संबंधों की मांग और उनमें रुचि रखते हैं.
भारत जैसा देश जहां लड़कियों को आज भी बोझ से अधिक कुछ नहीं समझा जाता, लड़कियों से पीछा छुड़ाने के लिए उन्हें पैदा होते ही या गर्भ में ही मार दिया जाता है, वहां लिंग अनुपात में असमानता होना एक स्वाभाविक बात है. वहीं दूसरी ओर परंपरागत और रुढ़िवादी होने के कारण यहां विवाह से पहले शारीरिक संबंध स्थापित करना पूर्णत: अनैतिक और निंदनीय माना जाता है. लेकिन इतना सब होने के बावजूद हमारी युवा पीढ़ी विवाह से पहले ही ऐसे अनैतिक संबंधों का अनुसरण करने में दिलचस्पी रखती है. विदेशी संस्कृति बहुत आधुनिक विचारों वाली है इसीलिए वहां ऐसे हालात सामान्य माने जा सकते हैं. लेकिन भारत जैसा देश जो अपनी परंपराओं और मान्यताओं को ही अपनी मौलिक विशेषता मानता है वहां अनैतिक संबंधों में संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जा सकती. हो सकता है भारतीय युवाओं से संबंधित आंकड़ा विदेशी राष्ट्रों की अपेक्षा कम हो लेकिन फिर भी हमारी संस्कृति कभी भी विवाह संबंध में बंधे बिना किसी महिला और पुरुष के बीच अनैतिक शारीरिक संबंधों को वहन नहीं कर सकती.
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