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अब एनआरआई को जीवन साथी नहीं बनाना चाहतीं भारतीय लड़कियां !!

indian bride and groomएन आर आई पुरुषों को भारतीय संस्कृति में पली-बढ़ी लड़कियां बहुत आकर्षित करती हैं. विदेशों में रह रहे भारतीय परिवारों की सबसे पहली प्राथमिकता यही होती है कि उनके बेटे का विवाह स्थायी तौर पर भारत में रहने वाली युवती के साथ ही हो. इसका सबसे बड़ा कारण यह माना जाता है कि भारतीय परिदृश्य में युवतियों को बचपन से ही परंपराओं, संस्कार और मान्यताओं का पाठ पढ़ाया जाता है. माता-पिता से मिली इन्हीं सीखों का अनुसरण वह विवाह के पश्चात भी करती हैं. ससुराल के हालातों में पूरी तन्मयता के साथ खुद को ढाल लेती हैं जिसके परिणामस्वरूप किसी भी प्रकार के मतभेद या आपसी मनमुटाव विकसित नहीं हो पाते. विदेशी लड़कियां ज्यादा बोल्ड और खुले विचारों वाली होती हैं इसीलिए वह उनके तौर-तरीकों को स्वीकार करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेतीं. यही कारण है कि एन आर आई पुरुषों की देशी युवतियों के लिए मांग बनी रहती है.


वैसे तो भारतीय अभिभावक भी विदेशी जीवनशैली से अछूते नहीं हैं. अपनी बेटी का विवाह एक प्रवासी भारतीय से करना उन्हें बहुत आकर्षित करता है. माता-पिता यह मानकर चलते हैं कि अगर उनकी बेटी का विवाह विदेश में रहने वाले किसी पुरुष के साथ हो जाता है तो उनकी बेटी का भविष्य सुरक्षित तो होगा ही साथ-साथ अपने परिवार और समाज में उनका दर्जा और अहमियत भी बढ़ जाएगी.


लेकिन अब जब आए दिन समाचार पत्र और न्यूज चैनल एन आर आई दूल्हों की धोखेबाजी और विश्वासघात जैसे कारनामों का बखान करते लगे हैं तो देसी अभिभवक भी अपनी बेटी को बाहर भेजने से कतराने लगे हैं. अब उनकी पसंद एन आर आई पुरुषों से परिवर्तित होकर देसी पुरुषों पर स्थिर हो गई है.


मैट्रिमोनियल साइटों द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करें तो वे माता-पिता जो अपनी पुत्री के लिए सुयोग्य वर की तलाश कर रहे हैं उनमें से पचास प्रतिशत अभिभावकों की लिस्ट में एन आर आई पुरुष नहीं हैं. अर्थात पचास प्रतिशत माता-पिता अपनी बेटी का विवाह किसी विदेशी पुरुष से नहीं करना चाहते. उल्लेखनीय है कि जहां पहले युवतियां भी पाश्चात्य तौर-तरीकों और आधुनिक जीवनशैली से प्रभावित होकर वहीं घर बसाने के सपने देखती थी. उन्हें भी अब केवल देसी पुरुष ही आकर्षक और विश्वसनीय लगते हैं. वह किसी प्रवासी भारतीय पुरुष से विवाह करने का जोखिम नहीं उठा सकतीं.


इस बदलती मानसिकता की एक मुख्य वजह विदेशों की बिगड़ती अर्थव्यवस्था और नौकरी पेशा लोगों की घटती आमदनी भी है. पश्चिमी देशों में काम करने वाले लोगों की सैलेरी घटने लगी है.


यह रिपोर्ट एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाती है. भारतीय पुरुष जहां पारिवारिक और जिम्मेदार होते हैं वहीं अब वह पढ़े-लिखे और अच्छे ओहदे पर भी काम करने लगे हैं. ऐसे में युवतियों का अपने देश से बाहर चले जाने का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता.


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