स्वाभाविक रूप से महिलाएं भावनात्मक रूप से अधिक संजीदा होती हैं. पुरुष जहां शारीरिक संबंधों को ज्यादा महत्व देते हैं वहीं महिलाएं अपने साथी को लेकर हमेशा भावुक रहती हैं. महिला जिससे प्रेम करती है अगर वह व्यक्ति किसी और को अपने दिल में जगह देता है तो वह इसे कदापि बर्दाश्त नहीं कर सकती.
एक नए अध्ययन के अनुसार प्रेम-प्रसंग में मिले धोखे पर संबंधित महिला और पुरुष भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण रखते हैं. अगर महिला किसी अन्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध रखती है, तो उसका प्रेमी इस बात को कतई सहन नहीं सकता और संबंध-विच्छेद करने पर उतारू रहता है. लेकिन गौर करने वाली बात है कि महिलाएं अपने प्रेमी का किसी अन्य महिला के साथ संबंध तो स्वीकार कर सकती हैं, लेकिन अगर वह उससे भावनात्मक लगाव रखता है तो यह उन्हें बहुत आहत करता है.
एक विदेशी चैनल पर आने वाले शो से प्रभावित होकर किए गए एक सर्वे में यह प्रमाणित हुआ है कि पुरुष अपनी साथी से हमेशा यही पूछते हैं कि उन्होंने किसी और के साथ शारीरिक संबंध रखे हैं या नहीं वहीं दूसरी ओर महिलाएं पुरुष से यही आशा रखती हैं कि उनका साथी किसी और महिला के लिए प्रेम रूपी भावनाएं ना रखे.
इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता बैरी कुहले के अनुसार 57 प्रतिशत पुरुष साथी के अन्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध को लेकर संदेह करते हैं. जबकि मात्र 29 प्रतिशत महिलाओं ने ही कभी यह संदेह रखा या व्यक्त किया है. इसके विपरीत 71 प्रतिशत महिलाओं ने अपने साथी से यह सवाल किया है कि कहीं वह किसी और महिला से प्रेम तो नहीं करते.
कुहले का यह भी कहना है कि उपरोक्त आंकड़े मात्र इस शो और उसके प्रतिभागियों से ही संबंधित हैं, जिन्हें सभी पर समान रूप से लागू होना कोई जरूरी नहीं है.
इस अध्ययन को अगर भारतीय परिदृश्य में देखें तो हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि महिलाएं स्वभाव से अधिक भावुक होती हैं. वह अपने संबंध के प्रति भावनात्मक दृष्टिकोण से सोचती हैं. लेकिन पुरुष अपनी प्रतिबद्धता निभाने में थोड़ी कोताही बरतते हैं. वह हमेशा ऐसी लड़की को ही प्राथमिकता देते हैं जिसका कभी कोई और संबंध ना रहा हो, लेकिन महिलाएं पुरुष से यही अपेक्षा करती हैं कि वह उनका स्थान किसी और को ना दे. प्रेम-संबंध को मजबूत बनाए रखना उनकी प्राथमिकता होती है.
हालांकि कई ऐसी महिलाएं भी हैं जो पीठ पीछे या फिर मौका मिलते ही अपने साथी को धोखा देने में नहीं हिचकतीं. लेकिन फिर भी पुरुष इस मामले में महिलाओं से कहीं ज्यादा आगे जान पड़ते हैं. वह चाहे किसी और से संबंध रखें लेकिन यह कभी सहन नहीं कर सकते कि उनकी प्रेमिका या पत्नी कभी किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध स्थापित करे.
भौतिकवाद से ग्रस्त आज के समय में भावनाएं अपना मोल खोती जा रही हैं, ऐसे में महिला हो या पुरुष, अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए कुछ भी कर गुजरने से पीछे नहीं हटते. संबंध मात्र स्वार्थ सिद्धि का एक साधन भर रह गए हैं. इनका भावनाओं से कोई लेना-देना नंही है. ऐसे हालातों में प्रेम जैसा शब्द अपनी महत्ता को पूरी तरह गंवा चुका है. अगर अपवादों को छोड़ दिया जाए तो शायद ही कोई ऐसा हो जो दूसरे प्रेमी की तलाश ना करे.
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