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युवाओं में शारीरिक संबंधों से जुड़ी जिज्ञासा को बढ़ा रहा है इंटरनेट

वैज्ञानिक सुख-सुविधाएं और अत्याधुनिक तकनीकें व्यक्ति के जीवन को सहज बनाने के लिए पूरा योगदान देती हैं लेकिन अगर बिना सोचे-समझे या जान-बूझकर इनका गलत प्रयोग किया जाए तो यह हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं. तकनीकों का निर्माण किस उद्देश्य से हुआ है व्यक्ति उसे भूलकर अपने स्वार्थ के कारण इनका प्रयोग अपनी इच्छानुसार करने लगता है.


negative impacts of internetइंटरनेट भी इन नई तकनीकों का एक उदाहरण है जिसे व्यक्ति अपनी सुविधा के हिसाब से प्रयोग करना ज्यादा पसंद करता है. इंटरनेट एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से दुनिया पर अपनी पहुंच बनाना अत्याधिक सुविधाजनक हो गया है. जानकारी प्राप्त करनी हो या फिर किसी से संपर्क करना हो हर परिस्थितियों में इंटरनेट एक फायदे का सौदा है. लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं. जानकारी क्या हो और कितनी हो यह संबंधित व्यक्ति पर निर्भर करता है. यही कारण है कि व्यक्ति विशेषकर युवा वर्ग इंटरनेट के माध्यम से अपनी अनैतिक शंकाओं का समाधान भी खोजने लगा है.


एक नए अध्ययन के अनुसार व्यक्ति इंटरनेट का सबसे ज्यादा प्रयोग शारीरिक संबंधों से जुड़ी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए करता है. सेक्स से संबंधित जानकारी वह विभिन्न साइटों पर जाकर और नेट पर मौजूद अपने दोस्तों की सहायता से प्राप्त करता है.


लंदन में हुए इस सर्वे के द्वारा यह नतीजा निकाला गया है कि इंटरनेट के बढते प्रचलन से ऑनलाइन सेक्स में काफी इजाफा हो रहा है. युवा जैसे ही इंटरनेट का प्रयोग करना शुरू करते हैं वह सबसे पहले शारीरिक संबंधों से जुड़े सभी विषयों से संतुष्ट होना चाहते हैं.


जबसे फेसबुक और ट्विटर जैसी साइटें अस्तित्व में आई हैं, युवा वर्ग इसमें अच्छी खासी दिलचस्पी लेने लगा है जिनके माध्यम से वह भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों के संपर्क में आता है. सर्वे में पाया गया है कि 10 प्रतिशत लोग ऑनलाइन सेक्स के लिए टि्वटर और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए सिर्फ सेक्स को लेकर बात करते हैं. नेट पर बात करते हुए युवक-युवती एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं और रिलेशनशिप स्वीकार कर लेते हैं. इन्हीं में से 20 प्रतिशत लोग ऐसे हैं  जिन्होंने ऑनलाइन संपर्क के बाद अपने पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए. नतीजे यह भी बयान करते हैं कि पुरूष महिलाओं की अपेक्षा सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर सेक्स की बातें करना ज्यादा पसंद करते हैं.


विदेशी पृष्ठभूमि पर आधारित यह शोध भारतीय युवाओं की मानसिकता के दृष्टिकोण पर भी एकदम सटीक बैठता है. सोशल नेटवर्किंग साइटों के प्रयोग के लिए वह हमेशा उत्सुक रहते हैं. एक-दूसरे के साथ फ्लर्ट करते हैं, यहां तक तो ठीक लेकिन कुछ युवा दूसरे के प्रति स्वयं को आकर्षित महसूस करने लगते हैं और संबंध बना लेते हैं.


शारीरिक संबंध के विषय में जानकारी हमेशा से ही मानव मस्तिष्क का केंद्र रहा है. व्यक्ति जल्दी से जल्दी इनके बारे में अपनी जिज्ञासा को विराम देना चाहता है. इंटरनेट उनकी यही जिज्ञासा को शांत करने के लिए सहायक होने लगा है. इसका सबसे नकारात्मक पहलू यह है कि सही आयु से पहले ही वह शारीरिक संबंध के प्रति अपनी जिज्ञासाएं रखने लगते हैं. एक-दूसरे की देखा देखी वह भी खुद को बोल्ड और मॉडर्न दर्शाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाते रहते हैं. यह उनके चारित्रिक विकास और व्यक्तित्व निर्धारण के क्षेत्र में घातक प्रमाणित होता है.


युवावस्था आयु का सबसे कोमल पड़ाव है. इसमें सही-गलत की समझ इतनी जल्दी नहीं आ पाती. युवा अपने प्रेम संबंधों को भी भली प्रकार समझ नहीं पाते. ऐसे में उन्हें सही मार्ग पर लाना और उनके चरित्र को स्वच्छ रखना केवल उनके अभिभावकों का ही दायित्व है. बच्चे गलती करते हैं लेकिन माता-पिता को उन्हें समझाना चाहिए. उनके भीतर स्वच्छ आचरण का निर्माण करना चाहिए. अभिभावकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा इंटरनेट पर कैसी साइटों पर जाता है या किस तरह के दोस्तों से मिलता-जुलता है. माता-पिता अपनी बेटी पर तो कड़ी निगरानी और बंदिशें लगा देते हैं, लेकिन वह अपने पुत्र को पूरी छूट देते हैं. यह उनकी सबसे बड़ी गलती है.


बच्चों के चरित्र को सही दिशा देना अभिभावकों की जिम्मेदारी है जिसे निभाना उनका सबसे बड़ा कर्तव्य है.


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