वर्तमान परिदृश्य के मद्देनजर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक वैयक्तिक दिनचर्या का एक बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. आज शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा हो जिसका एकाउंट फेसबुक पर मौजूद ना हो. पुराने दोस्तों से ऑनलाइन चैटिंग या फिर अनजान लोगों से दोस्ती करना आज युवाओं के साथ-साथ अन्य लोगों को भी बहुत पसंद आ रहा है. वैसे भी दोस्तों के साथ एक अच्छा समय बिताना और अपने विचार अन्य लोगों के साथ बांटना किसे पसंद नहीं आएगा.
लेकिन एक नए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि जो लोग फेसबुक पर ज्यादा समय बिताते हैं या हर थोड़ी देर में अपना अकाउंट खोलते हैं, दोस्तों के सामने वह खुद को कितना ही प्रसन्न और खुशहाल क्यों ना प्रदर्शित करें लेकिन मानसिक रूप से वे बहुत परेशान और दुखी होते हैं.
समाचार पत्र डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार ऊटा वैली विश्वविद्यालय द्वारा संपन्न इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि वे लोग जो वास्तविक जीवन में बहुत दुखी होते हैं वे अपने फेसबुक दोस्तों को जब संतुष्ट और खुशहाल देखते हैं तो उन्हें बहुत पीड़ा होती हैं. अपने गम को भुलाने के लिए वे स्वयं को खुशहाल दिखाने की कोशिश करते हैं और अपनी ऐसी तस्वीरें लगाते हैं जिसमें वे बेहद खुश और मौज-मस्ती करते हुए नजर आ रहे हैं.
इसके विपरीत वे लोग जो अपने वास्तविक जीवन से संतुष्ट और अपनी जीवनशैली से प्रसन्न हैं वे सोशल नेटवर्किंग साइटों जैसी आभासी दुनियां में समय बिताने से ज्यादा अपने सामाजिक दायरे को बढ़ाते और वास्तविक दोस्तों के साथ समय बिताते हैं. इतना ही नहीं वे लोग जो वास्तविक दुनियां में सक्रिय रहते हैं वह उदास भी कम होते हैं.
इस शोध से संबंधित निष्कर्ष और रिपोर्ट हाल ही में साइबर साइकोलॉजी, बिहेवियर एंड सोशल नेटवर्किंग नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है.
दोस्तों के साथ अपनी तस्वीरें बांटना और उनकी प्रतिक्रिया जानना फेसबुक का एक बहुत अच्छा फीचर है. इसीलिए अधिकांश लोग अपनी अच्छी बुरी हर तस्वीर वहां डालकर दोस्तों के साथ निकटता बनाने का प्रयास करते हैं. लेकिन अगर अपनी परेशानी छुपाने के लिए ऐसा किया जाए तो यह कदापि उचित नहीं है.
आमतौर पर प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी समस्या से जूझ रहा होता है. ऐसे में अच्छे दोस्तों का होना एक अनिवार्य और सहायक कारक बन जाता है. दोस्तों का साथ हो तो बड़े से बड़ा दुख भी कम लगने लगता है. लेकिन अगर आप केवल आभासी दुनियां में ही जीते रहेंगे तो निश्चित है कि आप अपने बहुत अच्छे वास्तविक दोस्तों से दूर होते जाएंगे. ऐसे दोस्त जो आपकी हर मुश्किल समय में सहायता तो करेंगे ही साथ ही आपको कभी भी अकेलेपन का अहसास नहीं करवाएंगे.
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसके लिए उसके सामाजिक संबंध बहुत अहमियत रखते हैं. परेशानियों का सामना करने के लिए अगर दोस्तों और वास्तविक दुनियां को भुला दिया जाए तो यह कदापि सही नहीं कहा जाएगा. सोशल नेटवर्किंग साइटों पर दोस्त बनाना या उनके साथ बातचीत करना गलत नहीं है लेकिन इसे मात्र एक मनोरंजन का साधन ही समझना चाहिए. अगर आप अपना जीवन फेसबुक और आभासी दोस्तों पर ही केंद्रित कर लेंगे तो यह आपको मानसिक और सामाजिक रूप से आहत कर सकता है. वैसे भी ऑनलाइन फ्रेंड्स कभी भी असल दोस्तों का स्थान नहीं ले सकते. हालांकि यह भी कोई जरूरी नहीं है कि वे सभी लोग जो अपनी हंसती-मुस्कुराती तस्वीरें फेसबुक पर डालते हैं वे परेशान ही हों लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे पहले कि आपको एकाकी जीवन से उम्र भर जूझना पड़े अपने दोस्तों और सामाजिक संबंधों को सहेजना शुरू कर दें.
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