अभी तक प्रेम और इससे संबंधित भावनाओं को हम व्यक्ति का निजी मसला ही समझते थे. आमतौर पर यही माना जाता था कि कोई अन्य व्यक्ति किसी को प्रेम करना नहीं सिखा सकता क्योंकि प्रेम संबंधी भावनाएं व्यक्ति का प्राकृतिक स्वभाव हैं. लेकिन ऑस्ट्रिया के एक स्कूल ने इस कथन को गलत साबित कर दिया है. क्योंकि इस स्कूल में पढ़कर आप ना सिर्फ अच्छे प्रेमी बनकर बाहर निकलेंगे बल्कि शारीरिक संबंधों की सही जानकारी और प्रेमी को रिझाने के लिए सभी पैंतरे भी आप इस स्कूल के शिक्षकों द्वारा भली प्रकार से सीख जाएंगे.
विएना स्थित यह स्कूल दुनियां के पहले सेक्स स्कूल के नाम से पहचान बटोरने लगा है. इस स्कूल की प्रधानाचार्या याल्वा मारिया थॉम्पसन का कहना है कि यह स्कूल किसी भी व्यक्ति के भीतर प्रेम रूपी भावनाएं पैदा कर सकता है. यहां आपको केवल व्यवहारिक ज्ञान ही प्रदान किया जाएगा. सोलह वर्ष या इससे अधिक आयु वाले व्यक्ति इस स्कूल में दाखिला ले सकते हैं. कोर्स के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को एक ही हॉस्टल में रखा जाएगा ताकि वे अधिकाधिक एक-दूसरे के नजदीक आ सकें. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को प्रेम स्पर्श और शारीरिक संबंधों से जुड़ी सभी बातों का व्यवहारिक ज्ञान दिया जाएगा. इतना ही नहीं कोर्स की समाप्ति के पश्चात छात्रों को एक सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाएगा जो उनके अच्छे प्रेमी के गुणों को प्रदर्शित करेगा.
स्वीडन में जन्मी मारिया थॉम्पसन को उनकी विचित्र कला प्रदर्शनी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने अपनी एक प्रदर्शनी में न्यूड महिलाओं के सौ पुतले लगाए थे.
डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार स्कूल अधिवक्ता का कहना है कि इस स्कूल की सफलता निश्चित है. लेकिन दूसरी ओर ऑस्टिया में इस स्कूल के विरोध में प्रदर्शन भी शुरू हो गया है. लोगों का कहना है कि स्कूल का प्रचार तो बड़े रोचक तरीके से हो रहा है लेकिन इसका उद्देश्य अश्लीलता बेचकर पैसा कमाना है. हालांकि इस स्कूल से संबंधित विज्ञापनों को पहले ही बैन किया जा चुका है. लेकिन अगर यह स्कूल खुला रहा तो इसमें दाखिला लेने वाले लोगों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है क्योंकि इस स्कूल के सत्र की फीस 1400 पाउंड है.
विदेशी पृष्ठभूमि में शारीरिक संबंध कभी भी निजी मसला नहीं रहे. इनका सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाना एक सामान्य बात है. लेकिन इस तरह सार्वजनिक तौर पर अश्लीलता का प्रदर्शन कर वह क्या साबित करना चाहते हैं यह कह पाना मुश्किल है क्योंकि उनकी सांस्कृतिक विशेषता किसी से छिपी नहीं हैं. इसके विपरीत यह बात सर्वमान्य है कि पाश्चात्य देशों में आपसी संबंधों में व्याप्त अभद्रता और अश्लीलता की कोई सीमा नही है. लेकिन भारत जैसे परंपरागत देश में जहां विद्यालय को एक पवित्र स्थान समझा जाता है वहां कभी भी ऐसे अनैतिक शिक्षा देने वाले स्कूलों की शुरूआत नामुमकिन है. भारतीय समाज में प्रेम को एक बहुत महत्वपूर्ण और सम्मानजनक स्थान प्राप्त है, उसका ऐसा फूहड़ प्रदर्शन किया जाने हमारी मान्यताओं के विरुद्ध है. इसीलिए भारत में इस स्कूल या इसके द्वारा संचालित कोर्स का कोई औचित्य नहीं है.
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