Menu
blogid : 313 postid : 2566

खराब मौसम के कारण क्यों बढ़ जाते हैं तलाक के मामले !!

हमारे समाज में विवाह नामक संस्था को धार्मिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोणों से बेहद सम्मानजनक स्थान दिया गया है. व्यवहारिक तौर भी व्यक्ति के लिए उसका वैवाहिक जीवन और जीवन साथी के साथ सुखद संबंध उसके जीवन की खुशहाली में बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन हर वैवाहिक संबंध सकारात्मक ही साबित हो ऐसा जरूरी नहीं है. जहां कुछ विवाहित जोड़े उम्रभर साथ निभाते हैं वहीं कुछ जोड़े बहुत कम समय में एक-दूसरे से अलग होने का निर्णय कर लेते हैं. स्वभाव भिन्नता, आपसी सहमति ना बन पाना या कुछ पारिवारिक मसले आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो विवाहित लोगों को अलग होने के लिए विवश कर देते हैं.



divorceवैसे तो विवाहित दंपत्ति अगर एक-दूसरे के साथ निर्वाह नहीं कर पाते तो उन दोनों का वैधानिक तौर पर अलग होना सामान्य बात बन चुकी है. लेकिन एक नए अध्ययन ने यह दावा किया है कि जनवरी माह में सबसे ज्यादा दंपत्ति अलग होते हैं क्योंकि इस महीने में पति-पत्नी आपसी बहस बहुत ज्यादा करते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि तलाक लेने और मनमुटाव पैदा करने में मौसम बड़ी भूमिका निभाता है.


उल्लेखनीय है कि वैज्ञानिकों द्वारा जनवरी माह में अलग होने की सबसे बड़ी वजह ठंड ज्यादा बढ़ जाने के कारण पति-पत्नी का घर में ज्यादा समय एक-साथ बिताना बताया गया है.


डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट पर गौर करें तो बीमा कंपनी शेलेस व्हील्स द्वारा संपन्न इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि पति-पत्नी अगर साथ में ज्यादा समय बिताते हैं तो उनके झगड़े करने की संभावनाएं बहुत प्रबल हो जाती हैं. बेवजह की बहस और तनाव उन दोनों को अलग होने के लिए मजबूर कर देता है. प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार इंगलैंड के लगभग 65% जोड़ों ने इस माह में तलाक लिया है. 7 प्रतिशत लोगों ने तो न्यू इयर रेजोल्यूशन के तौर पर जनवरी में अलग होने का प्रण भी लिया था.


वैसे तो अन्य अध्ययनों की तरह यह अध्ययन भी बेतुका और निरर्थक सा ही लगता है. लेकिन फिर भी भारतीय समाज में तलाक और आपसी मनमुटाव के बढ़ते मामले थोड़े चिंताजनक अवश्य हैं. इस बात से कोई ज्यादा अंतर नहीं पड़ता कि कौन से माह में सबसे ज्यादा तलाक होते हैं, चिंताजनक बात यह है कि आज भारत में भी वैवाहिक जोड़े तलाक जैसी व्यवस्था का अनुसरण करने से नहीं हिचकते. सहनशक्ति, धैर्य और एक-दूसरे के लिए समय यह तीनों चीजें लगभग अपना महत्व खोती जा रही हैं. हालांकि कुछ समय पहले तक तलाक जैसी व्यवस्था केवल उच्च वर्गों द्वारा ही अपनाई जाती थी. लेकिन अब इस व्यवस्था ने लगभग हर समाज और वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है.


यद्यपि कई बार ऐसे हालात भी विकसित हो जाते हैं जिसमें सहनशक्ति और धैर्य कुछ भी काम नहीं आता और ऐसे में विवाहित दंपत्ति का तलाक लेना एक अनिवार्यता ही बन जाती है.


Read Hindi News


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh