आमतौर पर यही समझा जाता है कि महिलाएं शॉपिंग पर जाने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. इतना ही नहीं हम तो यह भी देखते हैं कि अगर किसी महिला को शॉपिंग के लिए भेज दिया जाए तो वह पूरा दिन शॉपिंग पर खर्च करने के बावजूद यही शिकायत करती है कि उनकी खरीददारी पूरी नहीं हो पाई है. महिलाओं की सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि वह इस मामले में बहुत ज्यादा चूजी होती हैं. उन्हें कोई भी चीज बहुत आसानी से पसंद नहीं आती है. यही वजह है कि अगर उन्हें कोई गिफ्ट मिलता है तो वह उसमें अनेक खामियां निकाल ही लेती हैं.
हो सकता है आपको महिलाओं का यह चूजी स्वभाव कभी-कभार अखरता हो लेकिन किसी-किसी अवसर पर पुरुषों के लिए महिलाओं की कपड़ों से संबंधित राय और सुझाव काम कर ही जाते हैं. एक नए अध्ययन की मानें तो यह बात सामने आई है कि जब भी किसी पुरुष को तैयार होना होता है तो वह अपनी पत्नी या गर्ल-फ्रेंड से पूछ कर ही कपड़े पहनते हैं. इतना ही नहीं अगर उन्हें कभी इंटरव्यू या फिर किसी बहुत जरूरी मीटिंग के लिए जाना हो तो वह अपनी महिला साथी द्वारा चयनित कपड़े ही पहनना चाहते हैं.
पुरुषों के एक रिटेल ब्रैंड हाइ एंड माइटी द्वारा संपन्न इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि लगभग 60 प्रतिशत पुरुष इस बात को स्वीकार करते हैं कि कपड़ों के मामले में वह अपने से कहीं ज्यादा अपनी महिला साथी के चुनाव और समझ पर भरोसा करते हैं. इतना ही नहीं हर पांच में से एक पुरुष तो यह भी कहता है कि वह प्रतिदिन अपनी पत्नी या प्रेमिका द्वारा चयनित कपड़े पहनना चाहता है जबकि अन्य किसी खास मौके पर ऐसा करते हैं. हालांकि कुछ पुरुष फैशन की अच्छी समझ रखते हैं लेकिन फिर भी वे यही चाहते हैं कि उनकी साथी ही उन्हें तैयार करे. क्योंकि वो चाहते हैं कि कपड़ों के मामले में सारा नियंत्रण उनकी पत्नी या प्रेमिका के हाथ में ही रहे.
हाइ एंड माइटी की निदेशक गिल पोलिटोस का कहना है कि अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार के कारण मुझे इन नतीजों ने हैरान नहीं किया. क्योंकि मैं जानती हूं कि पुरुष महिलाओं के बिना ना तो शॉपिंग कर सकते हैं और ना ही ऐसा कुछ पहनना चाहते हैं जो महिला को पसंद ना आए.
सर्वे में एक और मुख्य बात सामने आई है कि लगभग 58 प्रतिशत अपनी पत्नी द्वारा टाई पहनना पसंद करते हैं. 48 प्रतिशत पुरुष अपनी पत्नी से अपनी कॉलर ठीक करवाते हैं तो वहीं 26 प्रतिशत अपने कफलिंक्स पहनने में अपनी पत्नी की मदद लेते हैं.
उल्लेखनीय है कि यह स्वभाव केवल 18-24 उम्र तक के पुरुषों में ही देखा जाता है, जबकि 35-44 वर्ष आयुवर्ग के पुरुष इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देते.
वैसे तो यह अध्ययन विदेशी पुरुषों पर संपन्न किया गया है लेकिन अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार इसे देखें तो जब कभी आप शॉपिंग पर जाते हैं तो आपने कई बार ऐसे पुरुषों को देखा होगा जो अपनी पत्नी के इंतजार में खड़े रहते हैं. क्योंकि उनकी पत्नी उनके लिए कपड़े चयनित कर रही होती है. भले ही पुरुष अच्छे और समकालीन कपड़ों की समझ रखते हों लेकिन फिर भी शॉपिंग के लिए वे अपनी पत्नी पर ही निर्भर रहते हैं. अब ऐसी परिस्थितियों में यह कहना गलत नहीं होगा कि कम से कम कपड़ों के मामले में भारतीय पुरुष अपनी पत्नी की बात मान ही लेते हैं.
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