कहते हैं प्रेम और भावनाओं का संबंध सिर्फ और सिर्फ दिल से होता है. इसीलिए अगर आप किसी से बेहद प्रेम करते हैं तो उससे संबंधित कोई भी निर्णय लेते समय आप अपने दिल की बात सुनते हैं. दो प्रेम करने वाले लोगों के बीच भावनात्मक लगाव और आपसी समझ बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
आज कल युवाओं के लिए प्रेम रूपी भावनाओं का महत्व कम होता जा रहा है, इसीलिए उनके आपसी संबंध बहुत अधिक दिनों तक नहीं टिक पाते. आप बेशक इसके लिए उनकी महत्वहीन भावनाओं और बदलती प्राथमिकता को दोष दें लेकिन एक नए अध्ययन के बाद यह प्रमाणित हो गया है कि प्रेम संबंध कितने समय तक चलेगा इसके लिए आपकी प्राथमिकताएं नहीं बल्कि हार्मोन जिम्मेदार होते हैं.
इजराइल स्थित बार-इलान विश्वविद्यालय द्वारा संपन्न इस शोध में यह स्थापित किया गया है कि आपका संबंध आपके लव-हार्मोन पर निर्भर करता है. शरीर में मौजूद यह हार्मोन आपके संबंधों की गहराई और उसकी अवधि को निर्धारित करते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि मानव रक्त के अंदर ऑक्सीटोसिन नामक लव-हार्मोन होते हैं, जिनकी जांच होने पर यह पता चल सकता है कि आपका संबंध कितना लंबा चलेगा.अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन प्रेमी जोड़ों के रक्त में ऑक्सीटोसिन की मात्रा अधिक होती है उनके संबंध ज्यादा लंबे चलते हैं बजाय उनके जिनके रक्त में लव-हार्मोन की मात्रा कम होती है.
लाइव साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस अनुसंधान को संपन्न करने के लिए वैज्ञानिक दल ने ऐसे जोडों के रक्त में मौजूद ऑक्सीटोसिन की जांच की जिन्होंने अभी हाल ही में अपने प्रेम संबंध की शुरूआत की थी. वैज्ञानिकों ने इन जोड़ों को छ: महीने बाद भी जांच के लिए बुलाया. दोबारा जांच करने पर उन्होंने पाया कि जिनके रक्त में ऑक्सीटोसिन की मात्रा ज्यादा है वे अब भी अपने रिश्ते को बनाए रखने के इच्छुक हैं. इसके विपरीत जिनके शरीर में ऑक्सीटोसिन की मात्रा कम होने लगी थी उनके संबंध भी टूटने के कगार पर पहुंच गए थे.
अगर इस अध्ययन को भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखा जाए तो हम अकसर अपने आसपास प्रेम संबंधों का टूटना जुड़ना देखते हैं. जब दो व्यक्ति एक-दूसरे को समझना और सहयोग करना समाप्त कर देते हैं तो इसका सीधा असर उनके संबंध पर पड़ता है. इतना ही नहीं कभी-कभार परिस्थितियां तब और जटिल हो जाती हैं जब प्रेमी जोड़े के बीच किसी तीसरे का हस्तक्षेप बढ़ जाता है. प्रेम संबंध में धोखाधड़ी और विश्वासघात जैसे हालात संबंध के टूटने का कारण बनते हैं. ऐसे में अगर हम उनके स्वभाव और नैतिकता में आ रही गिरावट को नजरअंदाज कर केवल शरीर में व्याप्त ऑक्सीटोसिन की मात्रा को ही जिम्मेदार ठहराएंगे तो यह किसी भी रूप में न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता.
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