वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ती जनसंख्या के दबाव और पेड़-पौधों की निरंतर कटाई के परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान और महासागरों के स्तर में वृद्धि देखी जा सकती है. इन सभी कारकों के चलते अब हमारी पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या का सामना करने के लिए विवश है. हरे पेड़-पौधे जो कार्बन डाईऑक्साइड जैसी गर्म और हानिकारक गैस को अवशोषित कर पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं, उनकी कटाई के कारण हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ नहीं रह पाता. इसके अलावा खेतों में रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग, ऊर्जा संयत्रों में जीवाश्म ईंधनों का बढ़ता प्रयोग ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को और अधिक बढ़ावा देता
अभी तक हम यही समझते थे कि ग्लोबल वार्मिंग केवल हमारे बाहरी वातावरण और पर्यावरण को ही प्रभावित करती है लेकिन अपने एक नए शोध के बाद वैज्ञानिकों ने यह भी प्रमाणित कर दिया है कि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण मानव का कद भी छोटा होता जा रहा है.
फ्लोरिडा और नेब्रास्का विश्वविद्यालयों से संबंद्ध वैज्ञानिकों के एक दल ने यह पाया कि धरती के पूर्ण रूप से ग्लोबल वार्मिंग रहित रहने और ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में आने के बाद मानव के कद में गिरावट देखी जा सकती है.
वैज्ञानिकों ने करीब पांच करोड़ 60 लाख साल पहले मौजूद घोड़ों और उसके बाद के घोड़ों के जीवाश्मों पर अध्ययन कर यह स्थापित किया है कि ग्लोबल वार्मिंग से पहले मानव का कद लंबा होता था और बढ़ते तापमान के कारण कद कम होता जा रहा है.
डेली मेल में प्रकाशित इस शोध की रिपोर्ट के अनुसार फ्लोरिडा प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. जोनाथन ब्लोच का कहना है कि जैसे जैसे-जैसे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती गई, घोड़ों का आकार कम होता गया, एक समय तो ऐसा आया जब घोड़ों का आकार बिल्ली के बराबर हो गया था.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान जलवायु परिवर्तन के कारण स्तनधारियों के कद में गिरावट आ सकती है. यहां तक कि मनुष्य की लंबाई भी कम हो सकती है.
यह बात हम सभी जानते हैं कि आए-दिन हम विदेशों में होने वाले नए-नए अध्ययनों से अवगत होते रहते हैं. यह बात भी सर्वविदित है कि सभी नतीजों को स्वीकार कर लेना न्यायसंगत नहीं है. ऐसे में संभव है कि बहुत से लोग घटते कद और बढ़ते वैश्विक तापमान में मौजूद संबंध को भी स्वीकार ना करें, लेकिन यह बात भी हम कतई नजरअंदाज नहीं कर सकते कि पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी ग्लोबल वार्मिंग नकारात्मक सिद्ध हो रही है. हालांकि वर्तमान समय में विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए रसायन और ईंधन का प्रयोग एक अनिवार्यता बन गई है लेकिन फिर भी हम इनके उपयोग को नियंत्रित जरूर कर सकते हैं.
भले ही ग्लोबल वार्मिंग हमारे कद को प्रभावित ना करे लेकिन निश्चित तौर पर यह हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है.
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