अकसर ऐसा माना जाता है कि महिलाओं को डेट पर जाना तो बहुत पसंद होता है लेकिन जब धन खर्च करने की बात आती है तो वह इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखलातीं. बेचारे युवकों को ही सारे खर्च का बोझ उठाना पड़ता है. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने महिलाओं के विरुद्ध प्रचलित इस विचारधारा पर प्रश्नचिंह लगा दिया है.
टीजीआई फ्राइडे नामक होटलों की प्रसिद्ध श्रृंखला द्वारा संपन्न इस अध्ययन में यह प्रमाणित हुआ है कि भले ही महिलाएं डेट पर जाने को लेकर पुरुषों से कहीं ज्यादा उत्सुक रहती हैं लेकिन वह अपने लिए योग्य साथी को तलाशने में पैसे की परवाह बिल्कुल नहीं करतीं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि प्यार को ढूंढ़ने और हासिल करने जैसे मसले में महिलाएं हमेशा अग्रणी भूमिका निभाती हैं. अगर उन्हें सच्चे प्रेमी को तलाशने के लिए एक दिन में तीन से चार पुरुषों के साथ भी डेट पर जाना पड़े तो भी उन्हें इसमें कोई बुराई नहीं दिखती, फिर चाहे इसमें उनका कितना ही खर्च क्यों ना हो.
सर्वेक्षण के अनुसार यह बात सामने आई है कि एक औसत ब्रिटिश महिला एक दिन में 2-3 पुरुषों के साथ डेटिंग करती है. इतना ही नहीं वह एक वर्ष के भीतर लगभग 5-6 पुरुषों के साथ डेट कर लेती हैं. इससे एक तो इससे वह कम समय में अधिक पुरुषों के साथ संपर्क कर पाती हैं और दूसरा अपने सच्चे प्रेमी तक पहुंचने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता.
डेली एक्सप्रेस में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार केवल 18 प्रतिशत महिलाएं ही यह मानती हैं कि डेट पर जो भी व्यय होता है उसका सारा जिम्मा पुरुष का ही है, जबकि आधे से ज्यादा पुरुष व्यय को सांझा रखने में विश्वास करते हैं. हर तीन में से एक महिला का कहना है कि अब डेटिंग के लिए परंपरागत तरीकों को अपनाना आउट ऑफ फैशन है. जरूरी नहीं है कि अगर आप किसी पुरुष को पसंद करती हैं तो उसके प्रस्ताव रखने का इंतजार करें, बल्कि स्वयं पहल कर संबंध की शुरूआत की जा सकती है. इसके अलावा दस में नौ पुरुषों का भी यह कहना है कि अब महिलाओं को भी प्रस्ताव रखने के लिए खुद को स्वतंत्र समझना चाहिए.
भले ही इस अध्ययन का भारतीयों के साथ सीधा संबंध ना हो लेकिन जब युवाओं की पसंद, उनकी प्राथमिकताओं और परिवर्तित होती मानसिकता का जिक्र होता है तो इस मसले पर यह भी देखा गया है कि लगभग सभी युवाओं का दृष्टिकोण एक समान ही रहता है. ऐसे में देश और समाज के आधार पर उनके बीच भेदभाव करने का औचित्य समाप्त हो जाता है. युवतियों की बात करें तो हम सभी इस बात से भली प्रकार परिचित हैं कि प्रेमी के आगमन को लेकर महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कहीं ज्यादा उत्सुक रहती हैं. वैसे भी अब महिलाएं और पुरुष दोनों ही समान रूप से आत्मनिर्भर हैं तो ऐसे में उनकी मानसिकता पहले से कहीं ज्यादा विस्तृत हो गई है. आज डेटिंग का अर्थ एक-दूसरे के साथ अच्छा समय व्यतीत करना और भावनाओं को सांझा करना है ऐसे में यह बात शायद बहुत ज्यादा महत्व नहीं रखती कि खर्च कौन ज्यादा करता है और कौन कम. लेकिन हां, विदेशी युवाओं और भारतीय युवाओं में सबसे बड़ा अंतर यह है कि विदेशों में भले ही संबंध का बनना और टूटना कोई बहुत अधिक महत्व ना रखता हो लेकिन भारतीयों के लिए भावनाओं और आत्मीयता से बुने गए संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा भारत में डेटिंग की अवधारणा अभी भी पूर्ण स्वीकृति नहीं पा सकी है ऐसे में अनेक पुरुषों के साथ महिलाओं का डेटिंग करना कभी भी सम्मानजनक नहीं समझा जा सकता.
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