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क्या आप भी गॉसिप करने के शौकीन हैं ?

gossipकॉलेज में पढ़ने वाली अंजली स्वभाव से बहुत बातूनी है. अपनी सहेलियों के साथ गपशप करना और खुद से जुड़ी हर छोटी बात उन्हें बताना अंजली की आदत बन चुकी है. लेकिन वह अपनी सहेलियों से ना सिर्फ अपनी बातें शेयर करती है बल्कि दूसरी लड़कियों की बुराई और उनके अंदर नुक्स निकालना भी उसे बहुत पसंद है. दूसरी लड़कियां कैसे कपड़े पहनती हैं, कैसे खाती हैं, कैसे बोलती हैं आदि बातें वह बड़ी गहराई से देखती है और फिर दूसरी लड़कियों को बताती है. हैरानी की बात तो यह है कभी-कभार उसकी अच्छी सहेलियां भी उसके इस स्वभाव की शिकार बन जाती हैं.


गपशप का शौक तो राहुल को भी है लेकिन जब वह अपने दोस्तों के साथ होता है तो उसके पास दोस्तों के साथ शेयर करने के लिए बहुत से मसले और बातें होती हैं. स्पोर्ट्स, गेम्स और नई जगह घूमने जैसी बातें उनके ग्रुप के बीच होने वाली गपशप का हिस्सा हैं.


बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि गपशप और गॉसिप करना सिर्फ महिलाओं की भाता है, पुरुष तो अपने काम में इतना मशगूल होते हैं कि उन्हें अपने दोस्तों के साथ इधर-उधर की बात करने का टाइम ही नहीं मिलता. अगर आप भी ऐसी ही धारणा रखते हैं कि गपशप करने की आदत केवल महिलाओं में ही होती है तो आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि दोस्तों के साथ घूमने-फिरने और पार्टी करने के दौरान पुरुष भी अपने दोस्तों के साथ गॉसिप करते हैं.


महिलाओं और पुरुषों के स्वभाव और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं में भिन्नता होना स्वाभाविक है. ऐसे में यह भी निश्चित है कि उन दोनों के बीच जिन मसलों पर बातचीत होती है वह भी अलग-अलग ही होंगे.


हाल ही में हुए एक अध्ययन पर नजर डालें तो यद्यपि महिला और पुरुष दोनों ही गॉसिप करने के शौकीन होते हैं लेकिन गॉसिप करने के उनके तरीकों में एक बड़ा और महत्वपूर्ण अंतर होता है. यूनिवर्सिटी ऑफ एडमोंटन द्वारा संपन्न इस सर्वेक्षण के बाद यह स्थापित किया गया है जब कोई पुरुष अपने दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताता और बातें करता है तो वह उसका अपने पुरुष दोस्तों के साथ संबंध और गहरा होता है जबकि अगर कोई महिला ऐसा करती है और अपनी अन्य महिला मित्रों के साथ बहुत ज्यादा गॉसिप करती है तो यह उनकी दोस्ती में दरार डाल देता है.


डेली मेल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार यूनिवर्सिटी ऑफ एडमोंटन से जुड़े शोधकर्ता डेविड वॉटसन का कहना है कि ज्यादातर मामलों में पुरुषों की दोस्ती अपने ग्रुप के लोगों से ही होती है, इसीलिए अगर वह एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताते हैं तो उनके बीच संबंध मजबूत होने की संभावना बढ़ती है. इतना ही नहीं अगर वह अपने दोस्तों को अपनी उपलब्धियों के बारे में झूठ भी बोलते हैं तो भी इसका नकारात्मक असर उनकी दोस्ती पर नहीं पड़ता. इसके विपरीत महिलाएं अपनी अन्य महिला मित्रों के साथ अपने सीक्रेट्स के साथ-साथ लगभग हर मसले पर बात करती हैं, इसीलिए उनका ज्यादा बोलना उनके संबंध के लिए प्रतिकूल ही साबित होता है. वॉटसन का कहना है ऐसे संबंधों में अत्याधिक बोलने की प्रवृत्ति खतरा बन जाती है.


लगभग 167 महिलाओं और 70 पुरुषों पर अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने यह प्रमाणित किया है कि अन्य महिलाएं कैसी दिखती हैं, कैसे चलती हैं और क्या पहनती हैं जैसी बातें महिलाओं के बीच होने वाली गपशप का सबसे बड़ा हिस्सा हैं जो महिलाओं के ग्रुप की दोस्ती के लिए एक खतरा है.


उपरोक्त अध्ययन को अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखें तो प्राय: गॉसिप करना तो हर समाज और देश की महिलाओं को बहुत भाता है तो भला भारतीय महिलाएं इन सबसे कैसे बच सकती हैं! कॉलेज में पढने वाली युवती हो या फिर कोई वर्किंग वुमेन, यहां तक की परिवार की देखभाल करने वाली गृहणी भी गॉसिप करने से खुद को रोक नहीं पाती. सहेलियों के साथ बात करते-करते वह कब अपने परिचितों के लिए बुरा बोल जाती हैं उन्हें पता ही नहीं चलता. उनकी सहेलियां यह सोचती हैं कि पीठ पीछे बुराई करना तो इनकी आदत हैं इसीलिए यह कभी हमारे लिए भी बुरा बोल सकती हैं, यही कारण है कि उनकी दोस्ती कभी मजबूत नहीं रह पाती.


उपरोक्त चर्चा पर विचार करें तो बहुत हद तक यह विषय विचारणीय है. हमारे बड़े-बुजुर्ग अकसर यह समझाते हैं कि हमें हमेशा सोच-समझकर ही बोलना चाहिए और हम उनकी सीख को नजरअंदाज करते हैं. लेकिन इस बार हमें उनकी बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत है.


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