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प्रतिभा की धनी दिव्या को जब बैंक ने ही गोद ले लिया !!

adoptedग्यारहवीं में पढ़ने वाली दिव्या ने यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा के धनी व्यक्ति के पास अवसरों और सौभाग्य की कोई कमी नहीं होती. जो व्यक्ति मेहनत और लगन को ही अपने जीवन का उद्देश्य चुन ले, अभाव या पैसे की कमी उसके लिए कभी बाधा नहीं बन सकती.


चेन्नई हाई स्कूल में पढ़ने वाली दिव्या ने दसवीं की परीक्षा में सबसे अधिक अंक हासिल कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सोलह वर्षीय दिव्या पिछले आठ सालों से अपनी दादी और छोटे भाई बहनों के साथ फुटपाथ पर जीवन बसर कर रही है. तमाम मुश्किलों से जूझते हुए दिव्या ने स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़कर यह कारनामा कर दिखाया है.


दिव्या का कहना है कि वो और उसका परिवार मुख्य बाजार वाले स्थान पर रहते हैं, जहां पूरे दिन गाड़ियों का शोरगुल और रात को शराबियों का आना जाना लगा रहता है. इतना ही नहीं नशे में धुत्त लोग उसके साथ छेड़खानी और उसकी दादी के साथ लड़ाई-झगड़ा भी करते हैं. जिसकी वजह से वह बड़ी कठिनाई के साथ अपनी पढ़ाई कर पाती है.


जहां कुछ बच्चे शिक्षा के नाम पर उपलब्ध सुविधाओं और पैसे का दुरुपयोग करते हैं वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो पढ़ाई को अपना माध्यम और मंजिल मानकर चलते हैं. फिर चाहे उनकी राह में कितनी ही मुश्किलें क्यों ना आएं वह अपने पथ पर अडिग रहते हैं.


समाचार पत्र में जब दिव्या की प्रतिभा से जुड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की गई तो स्थानीय इंडियन बैंक महाप्रबंधक ने दिव्या की प्रतिभा को पहचानते हुए उसे गोद लेने की सोची लेकिन फिर जब उन्होंने अपने सहयोगियों से दिव्या का जिक्र किया तो सभी का यह कहना था कि दिव्या के लिए बेहतर यही है कि बैंक ही उसे गोद ले ले. जैसा उन्होंने सोचा वैसा कर भी दिखाया. बैंक महाप्रबंधक ने दिव्या के नाम से बचत खाता खुलवाया और उसे एक एटीएम कॉर्ड भी दिया है.


बैंक ने उसकी हर जरूरत को पूरा करने का उत्तरदायित्व उठाया है जिसके अनुसार अब दिव्या फुटपाथ पर रहने वाली लड़की नहीं बैंक की बेटी हो गई है.


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