एक समय था जब महिलाओं को उनकी शालीनता के लिए जाना जाता था. कोमल आवाज और संयमित लहजा महिलाओं की पहली पहचान हुआ करती थी. लेकिन अब जब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं तो महिलाओं का यह स्वभाव भी कब तक स्थिर रह पाता. हम इस बात से कतई इनकार नहीं कर सकते कि आज बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जो अक्खड़ और तेज-तर्रार तरीके से बात करती हैं. इतना ही नहीं पहले पारिवारिक या सामाजिक किसी भी मसले पर अपने सुझाव देना महिलाओं के लिए उचित नहीं माना जाता था वहीं आज वह बड़ी बेबाकी के साथ अपनी राय देती हैं.
सोशल साइटों ने बदला है ट्रेंड
हो सकता है महिलाओं के मौलिक स्वभाव में आता यह अंतर आपको आधुनिकता और शिक्षा का परिणाम लगे लेकिन हाल ही में जारी एक रिपोर्ट की मानें तो महिलाओं के व्यवहार में आते इस परिवर्तन का कारण शिक्षा नहीं बल्कि सोशल नेटवर्किंग साइटों के प्रति बढ़ती नजदीकी है.
विशेषज्ञों का मानना है कि फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटें व्यक्ति के भीतर छिपी आक्रामकता को और अधिक बढ़ावा देकर उनके स्वभाव को तीखा कर रही हैं. प्लेन इंग्लिश कैंपेन की अध्यक्षा मारिया क्लेयर का कहना है कि यह साइटें तीखी और बेबाक टिप्पणियों को बढ़ावा देती हैं जिसके परिणामस्वरूप युवा वर्ग काफी हद तक लापरवाह बन जाते हैं. वह बड़ों का आदर करना तक जरूरी नहीं समझते. युवा चाहे किसी भी देश या समाज के क्यों ना हों, प्राय: सभी के बोलने का तरीका बेहद आक्रामक हो गया है.
इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि इन साइटों के अधिक प्रयोग के कारण महिलाओं से जिस शालीनता की उम्मीद की जाती है उसमें उल्लेखनीय कमी आने लगी है. आज महिलाएं अपने अभिभावकों को भी दो टूक जवाब देने लगी हैं.
सोशल नेटवर्किंग साइटें बेतरतीब व्यवहार के लिए जिम्मेदार
सोशल नेटवर्किंग साइटों पर त्वरित बोलचाल के लहजे को अपनाया गया है. परिणामस्वरूप व्यक्ति को सही और सलीकेदार शब्द खोजने का समय नहीं मिल पाता. जल्दी-जल्दी जवाब देने के लिए वह बिना सोचे-समझे शब्दों का प्रयोग करने लगे हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से संबद्ध प्रोफेसर डेबोराह कैमरोन का कहना है कि भाषा में आ रहा परिवर्तन युवतियों में सबसे अधिक देखा जा सकता है. युवक तो हमेशा से ही उग्र और आक्रामक रहे हैं लेकिन महिलाओं का यह बदलता व्यवहार वाकई हैरान करने वाला है.
कितना असर पड़ा है भारतीय महिलाओं पर ?
उपरोक्त अध्ययन को अगर हम भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखें तो भारतीय महिलाओं की भाषा शैली और व्यवहार में भी उल्लेखनीय परिवर्तन आया है. आज वह अपने दृष्टिकोण को समझाने और अपनी राय रखने की हर संभव कोशिश करती हैं. वह अपनी अपेक्षाओं व इच्छाओं को छिपाने में नहीं बल्कि उन्हें पूरा कर दिखाने में विश्वास रखती हैं. निश्चित तौर पर उनके इस व्यवहार परिवर्तन में शिक्षा और जागरुकता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है लेकिन इसमें सोशल नेटवर्किंग साइटों की क्या भूमिका रही है यह बात स्पष्ट तौर पर नहीं कही जा सकती.
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