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Parental Caring : ऐसे बढ़ाएं शिशु से जुड़ाव

women8‘मैं जब से गर्भवती हुई हूं एक अजीब सा अहसास है पर साथ ही अवसाद भी महसूस होने लगा था. पर जब से रोजाना योगा करनी शुरू की है तब से अवसाद जैसे शब्द का अहसास ही नहीं होता है और अपने होने वाले बच्चे के साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस करती हूं’. यह कहानी प्रेरणा शर्मा की है. योग करने से गर्भवती महिलाओं में अवसाद कम होता है और माताओं को अपने अजन्मे शिशु से अधिक जुड़ाव महसूस होता है.


एक अध्ययन के अनुसार ‘मिशिगन विश्वविद्यालय’ के शोधकर्ताओं ने  बताया कि यदि गर्भवती महिलाएं योग करें तो उनमें अवसाद को कम किया जा सकता है और मां-बच्चे के बीच जुड़ाव बढ़ता है.


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नये अध्ययन में दावा किया गया है कि गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं में उत्पन्न होने वाले हार्मोन महिलाओं को निरुत्साहित कर देते हैं, जिसकी वजह से मां बनने जा रही पांच में से एक महिला गंभीर अवसाद की शिकार हो जाती है. अध्ययन में पाया गया कि गर्भवती महिलाओं में मनोवैज्ञानिक खतरा ज्यादा होता है और जो महिलाएं 10 सप्ताह तक पूरे मन से योग करती हैं उनमें अवसाद के लक्षणों में महत्वपूर्ण कमी देखने को मिली है.


योग करने से मां बनने जा रही महिला गर्भ में पल रहे शिशु के साथ जुड़ाव भी महसूस करती है. मनोरोग चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर और ह्यूमन ग्रोथ एवं डेवलपमेंट सेन्टर में सहायक शोध विशेषज्ञ मारिया मुजिक के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया. मारिया के अनुसार हमारे शोध में पता चला है कि ‘गर्भवती महिलाओं मेंअवसाद के लक्षण को दवा के माध्यम से उपचार करने के मुकाबले योग से प्रभावीतरीके से कम किया जा सकता है.


मां बनने का अहसास खास है, अवसाद से कम होने ना दें

किसी ने सच ही कहा है कि दुनिया में सबसे ज्यादा खास जो अहसास होता है वो मां बनने का होता है तो फिर क्यों उस सुन्दर से अहसास में अवसाद का ग्रहण लगाना. गर्भवती मां यदि रोजाना योगा करती है तो अवसाद से मुक्ति पा सकती है और अवसाद से मुक्ति का अर्थ है कि गर्भवती मां और बच्चे में एक खास जुड़ाव का पैदा हो जाना.


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