तलाक तक जाते शादी के बंधन………
विवाह उम्र भर का साथ होता है. जिस व्यक्ति को आप अपना जीवनसाथी बनाते हैं उसका और आपका रिश्ता ताउम्र कायम रहता है. वह हर सुख-दुख में आपका साथ निभाता है और आपको भी उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभानी होती हैं. विवाह को भारतीय परिदृश्य में एक ऐसे धार्मिक और सामाजिक संस्था का दर्जा दिया गया है जिसमें बंधने के पश्चात व्यक्ति अपने लिए अपने जीवन साथी और परिवार के लिए जीता है. इसका निर्वाह वह किसी जोर जबरदस्ती से नहीं बल्कि पूरी आत्मीयता और तन्मयता के साथ करता है. भारत में विवाह का यह रूप अपने आप में बेहद खास और सम्मानजनक है लेकिन क्या विदेशी लोग जिन्हें हम बेहद मॉडर्न और खुले विचारों वाला मानते हैं उनके लिए भी विवाह के मायने वहीं हैं जो हमारे लिए हैं या इस बारे में उनका सोचना कुछ और है?
रस्मी रवायतें भिन्न हैं मगर…….
विदेशों में वैवाहिक संबंधों का स्वरूप भारत से पूरी तरह भिन्न है. जहां एक ओर भारतीय पृष्ठभूमि में विवाह बेहद उत्कृष्ट परंपरा को दर्शाता है वहीं विदेशों में इसे एक ऐसे रिश्ते के रूप में देखा जाता है जिसे कभी भी तोड़ा जा सकता है. लेकिन अगर हम हाल ही में हुए एक अध्ययन की स्थापनाओं पर गौर करें तो यह स्पष्ट प्रमाणित होता है कि विवाह से जुड़ी विदेशी लोगों की मानसिकता को एशियाई देशों के लोग गलत आंकते हैं क्योंकि पाश्चात्य देशों के लोग जब विवाह करते हैं तो उनमें से अधिकांश कभी यह नहीं सोचते कि उन्हें आगे चलकर अपने पति या पत्नी से तलाक ले लेना है. उनकी कोशिश इस संबंध को उम्र भर निभाने की होती है.
दोस्ती हर समय इम्तिहान ही क्यों लेती हैं ?
अमेरिका स्थित क्लार्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि लगभग 86 प्रतिशत अमेरिकी लोगों का कहना है कि वह अपने वैवाहिक संबंध को उम्र भर चलाना तो चाहते हैं लेकिन इनमें से आधे ही अपने इस उद्देश्य में सफल हो पाते हैं. इतना ही नहीं, शोध में शामिल लगभग 57 वयस्कों का यह भी कहना है कि किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाना जिनके साथ आप भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस नहीं करते, पूरी तरह गलत है.
अनैतिक नहीं है शादी से पहले संतान
पाश्चात्य देशों में विवाह से पहले संतान का होना अनैतिक नहीं समझा जाता इसीलिए कई बार यह भी देखा जाता है कि माता-पिता बनने के बाद प्रेमी जोड़े विवाह करते हैं. लेकिन अगर हम अमेरिकी युवाओं की मानसिकता पर नजर डालें तो शोध के अंतर्गत जितने भी युवा शामिल हुए उनमें से 73% का यही कहना है कि बच्चे के आगमन से पहले ही लोगों को विवाह कर लेना चाहिए.
शोधकर्ताओं का मानना है कि पाश्चात्य लोगों का पालन-पोषण ऐसे माहौल में होता है जिसमें उन्हें यही दिखता है कि विवाह के बाद तलाक होता ही है इसीलिए अधिकांश लोग तलाक को एक विकल्प मानकर चलते हैं. लेकिन भारत समेत अधिकतर एशियाई देशों में विवाह का कोई विकल्प निर्धारित नहीं किया गया. एक बार इस संबंध को स्वीकारने के पश्चात इसका निर्वाह एक धर्म के रूप में किया जाता है. भारत में आज भी परंपरागत तौर पर विवाह को सबसे अहम स्थान दिया जाता है जिसका संबंध केवल संबंधित व्यक्ति से ना होकर उसके परिवार से होता है. इसीलिए अगर कभी विवाहित दंपत्ति के बीच थोड़ी बहुत दरार आ भी जाती है तो परिवार वाले आपस में ही उस समस्या को सुलझा लेते हैं जिससे कि बात तलाक तक पहुंच ही नहीं पाती.
लिव इन रिलेशनशिप के बहाने विवाह का विकल्प
परंतु अब जब पाश्चात्य संस्कृति भारत में भी अपने पांव पसारने लगी है तो ऐसे में युवा लिव इन रिलेशनशिप के बहाने विवाह का विकल्प तलाशने में जुटे हैं. इतना ही नहीं तलाक के लिए कारण और तरीके भी बखूबी खोजे जाने लगे हैं. वैयक्तिक स्वार्थ और प्राथमिकताओं के पीछे विवाह का औचित्य खोता जा रहा है. निश्चित तौर पर भारतीय समाज के लिए यह एक सकारात्मक संकेत नहीं है. आधुनिकता की अंधी दौड़ और दिनोंदिन बदलती प्रमुखताओं ने व्यक्ति की अपेक्षाओं को उल्लेखनीय ढंग से परिवर्तित किया है और इस परिवर्तन का अंत और आयाम क्या होगा यह कोई नहीं जानता.
Tags: lifestyle issues, husband and wife relationships, mutual understanding, reason for divorce.
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