विवाह के समय पवित्र अग्नि के फेरे लेते हुए नवदंपति सात जन्मों तक साथ निभाने की शपथ लेते है, लेकिन इसे निभाने वालों की संख्या बहुत कम होती है. यह विश्वास कि पुरुष केवल उन्हीं परिस्थितियों में इधर-उधर भटकते है, जब वे वैवाहिक जीवन से अप्रसन्न हों, अब मिथ्या साबित हो रहा है. पूरी तरह से सुखी और संतुलित माने जाने वाले जोड़ों का वैवाहिक जीवन भी विश्वासघात के तूफान की चपेट में आ रहा है. इसके दो उदाहरण दृष्टव्य हैं:-
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Sad Story of Love and Breakup: प्यार और धोखे की पहली
सुंदर, युवा और गृहकार्य में निपुण प्रतिमा एक आदर्श पत्नी थी. एक समर्पित पति और दो बच्चों के परिवार की सदस्य प्रतिमा स्वयं को दुनिया की सबसे सुखी पत्नी मानती थीं, जब तक कि उन्होंने पति को अपनी ही सहेली के साथ रंगे हाथों नहीं पकड़ लिया. प्रतिमा की खुशहाल दुनिया जैसे रातोंरात ढह गई. वह यह तक नहीं पता कर पा रही थीं कि ऐसा क्यों हुआ?
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सोनली की तरक्की का रास्ता
एक महत्वाकांक्षी कर्मचारी के रूप में सोनल को अपनी तरक्की का रास्ता बॉस द्वारा प्रेम प्रदर्शन के रूप में सहज ही मिल गया. जब यह कहानी उसके मंगेतर रोहन तक पहुंची तो उसे सहज ही विश्वास नहीं हुआ. वह भला ऐसा कैसे कर सकती थी? उन दोनों की मंगनी दो साल पहले हो चुकी थी और इस दौरान उनके बीच में कोई टकराव भी नहीं हुआ था. स्पष्ट है कि इस संबंध को तोड़ देना रोहित के लिए आसान नहीं था, लेकिन क्या कोई दूसरा रास्ता बचा था?
Women have Extramarital Affairs : विवाहोत्तर संबंधों की दुनिया में महिलाएं
वैसे यह कोई नियम नहीं है, लेकिन यह पाया जाता रहा है कि अधिकांशत: स्त्रियों की तुलना में पुरुष विवाहेतर संबंधों में अधिक लिप्त होते है. कई पुरुषों का तो यह भी विश्वास होता है कि बहुस्त्री गमन बिल्कुल प्राकृतिक है. वे इस आवारागर्दी को कुतर्को से सिद्ध करने की कोशिश करते है जिनमें सबसे अधिक सामान्य यह है कि वह इधर जाएं या उधर, अंत में लौटकर तो पत्नी के पास ही आते है. शर्मनाक ढंग से उनकी निगाह में तो यही ‘सच्ची वफादारी’ है. बदलते समय के साथ महिलाएं भी इस खेल में शामिल हो गई है. अब यह कोई झिझक का विषय नहीं रह गया है कि किसी व्यक्ति के जीवनसाथी के अतिरिक्त भी प्रेम संबंध है. वास्तविकता तो यह है कि कई युवा महिलाएं इसको रोमांच और अनुभव का हिस्सा मानती है.
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आज तो कई जानकार यह भी मानते हैं कि महिलाएं बेवफाई के खेल में पुरुषों को पछाड़ रही हैं. आज इंटरनेट और मोबाइल ने महिलाओं को विवाहोत्तर संबंधों में आने का मौका दिया है.
धोखा: आखिर किस पर पड़ता है भारी
विश्वासघात होने पर केवल जीवनसाथी को ही नहीं, पूरे परिवार को भावनात्मक आघात से रूबरू होना पड़ता है. एक जीवनसाथी छला हुआ महसूस करता है, दूसरा अपराधबोध से ग्रस्त होता है और बच्चे भी इन दोनों के बीच मिश्रित भावनाओं से घिर जाते है.
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Hard facts behind Extra Marital Affair विश्वास टूटने का दर्द
विश्वास का टूटना ऐसी कठिन स्थिति है जिसे आसानी से स्वीकार नहीं किया जा सकता है. संबंध आईने की तरह होते है. अगर उनमें एक बार दरार पड़ जाए, तो इन्हे फिर से पहले जैसा करना बहुत मुश्किल और कई बार असंभव हो जाता है. आघात और पीड़ा की भावना मन से कभी भी नहीं जाती है. कुछ दशकों पूर्व महिलाएं पतियों की बेवफाई को केवल इसलिए बर्दाश्त करती थीं, क्योंकि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं होती थीं. आज के माहौल में मात्र आर्थिक पहलू को देखते हुए ऐसे संबंधों को बर्दाश्त कर लेना महिलाओं के लिए संभव नहीं दिखता है.
स्वीकार करें या अस्वीकार
यह निर्णय मुख्यत: जीवनसाथी की वित्तीय, सामाजिक और भावनात्मक स्थिति पर निर्भर करता है. कुछ महिलाओं के लिए यह कारक बच्चे हो सकते है, तो कुछ के लिए ‘लोग क्या कहेगे’ की भावना.
लेकिन असल में समाज में ऐसे रिश्तों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. विवाह के बाद अपने पति या पत्नी के अतिरिक्त किसी और से रिश्ता रखना सरासर गलत ही माना जाता है. कई बार लोग परिस्थितियों का हवाला दें ऐसे रिश्तों को मंजूरी तो दे देते हैं लेकिन यह सही नहीं है. अगले अंक में हम जानेंगे कि ऐसे रिश्तें या हालात अगर आपके सामने आएं तो आपको क्या करना चाहिएं.
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