अभी तक यह माना जाता था कि दिल के मामले दिल से ही सोचकर लेने चाहिए, उनमें दिमाग का कोई प्रयोग नहीं होना चाहिए. आखिर भावनाओं का खेल है ऐसे में दिमाग का तो काम ही क्या है इसमें. लेकिन अब जिस अध्ययन की हम यहां बात करने जा रहे हैं उसके अनुसार प्यार के मामले में दिल नहीं बस आपकी नाक काम आती है.
सुनने में यह भले ही अजीब लगे लेकिन सच यही है कि अगर आपके अंदर सूंघने की क्षमता है तो आप अपने लिए सच्चे प्यार की तलाश भी आसानी से कर सकते हैं नहीं तो फिर आपको उम्र भर एक अदद प्यार की तलाश करनी पड़ेगी. कम से कम जर्नल बायोलॉजिकल साइकोलॉजी के शोधकर्ताओं ने ऐसा ही कहा है.
‘द इंडिपेंडेंट’ में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार गंध की पहचान करने की समझ का सीधा संबंध महिला और पुरुष के बीच प्रेम संबंध से होता है. अगर आपने सेंस ऑफ स्मेल के बिना ही जन्म लिया है तो आपको यह तो मान ही लेना चाहिए कि जीवनभर आपको एक मजबूत प्यार के लिए तरसना पड़ेगा.
18 से 46 आयु वर्ग के महिला-पुरुष को केंद्र में रखकर किए गए इस शोध में यह स्थापित किया गया है कि वे महिला-पुरुष जो किसी भी गंध की पहचान करने में सक्षम नहीं हैं उनके अंदर सामाजिक असुरक्षा का भाव बहुत तेज होता है.
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विशेषकर वे पुरुष जो स्मेल पहचानने की क्षमता नहीं रखते वह अपने जीवन के कई संबंध बनाते और बिगाड़ते हैं. वहीं वे पुरुष जिनकी गंध पहचानने की क्षमता कम या दोषपूर्ण होती है वह अपने जीवन में दो बार प्रेम संबंध बनाते हैं.
वो तुमसे ज्यादा बेहतर था !!!
वहीं एक सिद्धांत यह भी कहता है कि सेंस ऑफ स्मेल आपको रोमांचक बनाती है इसीलिए जिन पुरुषों के अंदर यह खूबी नहीं होती वे रोमांचकता से भी दूर रहते हैं. अन्य लोगों से घुलने-मिलने में या बात करने में उन्हें परेशानी हो सकती है.
वहीं दूसरी ओर महिलाओं के विषय में यह शोध कुछ अलग कहता है. वे महिलाएं जो सूंघने की अच्छी क्षमता रखती हैं उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी होती है. वे अपने संबंधों में भी 20% तक कम सुरक्षित महसूस करती हैं.
वहीं उल्लेखनीय बात यह है कि सूंघने की क्षमता ना होना या कम होना आपके परिवार और दोस्तों के साथ आपके संबंध को बिल्कुल प्रभावित नहीं करता. उसका संबंध सिर्फ और सिर्फ प्रेम संबंधों से ही होता है.
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वैसे तो यह अध्ययन लंदन में रहने वाले लोगों पर आधारित है इसीलिए भारत के लोगों पर तो इस अध्ययन का नतीजा लागू नहीं किया जा सकता. लेकिन एक बात तो यह भी है कि नाक और दिल के मेल का यह अजीब रिश्ता थोड़ा अटपटा ही है. वैसे तो विदेशी जमीन पर ऐसे अध्ययन होते ही रहते हैं जिनका कोई आधार नहीं होता लेकिन यह अध्ययन तो वाकई बहुत हास्यास्पद है.
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