मां का दामन कब तक थामे रहोगे, अब तो खुद कुछ करना सीखो, अरे हद है, हर चीज अपनी मां से ही पूछकर करोगे !!
आमतौर पर यह समझा जाता है कि अगर वयस्क होने के बाद भी आप अपनी मां का ही दामन थामे रहोगे तो लड़कियां आपसे दूर भागेंगी. समझना क्या है अकसर देखा भी यही जाता है कि ममाज ब्वॉय को लड़कियां ज्यादा पसंद नहीं करतीं.
लेकिन यहां हम आपको थोड़ी हटके खबर सुनाने वाले हैं. हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण की मानें तो आजकल लड़कियां उन लड़कों में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगी हैं जो अपनी मां के पल्लू से बंधे रहते हैं और हर छोटे-बड़े निर्णय अपनी मां से ही पूछ कर लेते हैं.
शादी डॉट कॉम द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि प्रसिद्ध बॉलिवुड. एक्टर रणवीर कपूर जिस तरह अपनी मां के साथ जुड़े रहते हैं, लड़कियों को भी अपने पति में कुछ ऐसी ही खूबी की तलाश रहती है. लगभग 72 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि पुरुष अगर अपनी मां के साथ करीबी रिश्ता रखता है तो वह एक आदर्श पति बन सकता है.
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शादी डॉट कॉम के संचालक गौरव रक्षित की मानें तो इस सर्वेक्षण ने मौजूदा ट्रेंड बदलकर रख दिया है जिसके अनुसार मां दा लाडला किसी को पसंद नहीं आता.
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर पुरुष अपनी मां के नजदीक होगा तो वह अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील होता है, वह अपनी जीवनसाथी की परेशानियों को समझने और उन्हें सुलझाने के लिए भी तैयार रहता है क्योंकि वह अपनी जिम्मेदारियों को समझता है. वह अपनी मां के द्वारा महिलाओं की इज्जत करना सीखता है और अपनी गलती को सुधारने के लिए तत्पर रहता है. वे पुरुष जो अपनी मां के साथ ज्यादा समय बिताते हैं और उन्हें अपने दिल की सारी बात बताते हैं वे आगामी जीवन में आने वाली अपनी जीवनसाथी को भी समझने का प्रयास करते हैं.
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लेकिन हर बार ऐसा हो यह बिल्कुल जरूरी नहीं है क्योंकि कई बार मां के साथ यही लगाव पत्नी से दूरियां भी बढ़ा देता है. यह सब निर्भर करता है मां की प्राथमिकताएं और बेटे के जीवन में उसका हस्तक्षेप कितना है.
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प्राय: देखा जाता है कि बहुत से पुरुष अपनी मां से तो नजदीक होते हैं, उनकी हर बात मानते हैं लेकिन इस स्वभाव के कारण वह स्वतंत्र तौर पर कोई भी निर्णय ले पाने में अक्षम हो जाते हैं. वह अपने सही-गलत को नहीं समझ पाते और हर काम के लिए अपनी मां पर ही निर्भर रहते हैं. इतना ही नहीं ममाज ब्वॉय होने का एक नुकसान यह भी है कि आप अपने जीवनसाथी को समझने की बजाय अपनी मां के कहने पर ही अच्छे-बुरे का निर्णय कर लेते हैं. निश्चित तौर पर आपकी यह आदत उस महिला को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी जो अपना घर छोड़कर आपके साथ आई है.
ऐसे में इस सर्वेक्षण का खास अर्थ इसलिए भी नहीं रह जाता क्योंकि हर व्यक्ति की प्राथमिकताएं और अपने जीवनसाथी से अपेक्षाएं बहुत अलग-अलग होती हैं इसीलिए एक के विचारों को दूसरे पर थोपना वाजिब नहीं कहा जा सकता. अंतत: निष्कर्ष के तौर पर यह जरूर कहा जा सकता है कि मां से लगाव होना एक अच्छी बात है लेकिन इस लगाव के कारण संवेदनाएं सिर्फ मां के लिए ही नहीं बल्कि जीवनसाथी के प्रति भी समान रूप से होनी चाहिए.
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