एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते……आए दिन हमें इस सामाजिक धारणा से दो-चार होना पड़ता है कि विपरीत लिंग के लोगों में दोस्ती कभी भी संभव नहीं हो सकती. हो सकता है आज के युवा इस बात से इत्तेफाक ना रखते हों और अपने से वरिष्ठ लोगों, जो अनुभव के आधार पर ऐसा कहते हैं, की बातों को पूरी तरह से नकारते हों. लेकिन हाल ही में विशेषज्ञों ने जो तथ्य बयां किया है उसके अनुसार तो यह प्रमाणित हो गया है कि एक लड़का और लड़की कभी सिर्फ दोस्त बनकर नहीं रह सकते.
हाल ही में हुए एक शोध के बाद यह साबित हुआ है कि साथ पढ़ने वाले, या काम करने वाले लड़का और लड़की जो खुद को दोस्त कहते हैं, वह ज्यादा समय तक बस दोस्त ही बनकर जीवन व्यतीत नहीं कर सकते, क्योंकि कहीं ना कहीं आकर्षण का सिद्धांत बीच में आ ही जाता है.
इतना ही नहीं लॉ ऑफ अट्रेक्शन का सिद्धांत तो यह भी कहता है कि महिला के साथ किसी पुरुष की दोस्ती कहीं ना कहीं पुरुष की ओर से शारीरिक आकर्षण को जन्म दे ही देती है. ऐसे हालातों में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे सिंगल हैं या फिर संबंध में. जबकि महिला फिर भी अगर पहले से ही किसी संबंध में है तो वह अपने पुरुष मित्र की ओर कम से कम शारीरिक आकर्षण तो नहीं रख सकती.
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सर्वेक्षण करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर पुरुष लंबे समय से किसी रिलेशनशिप में हैं तो उनके भटकने की संभावना कुछ हद तक ज्यादा कम हो जाती है.
इस सर्वेक्षण में 88 जोड़ों को शामिल किया गया. इन जोड़ों में जितने भी लड़का-लड़की थे वे आपस में दोस्त थे. वैज्ञानिकों ने उन्हें एक सीक्रेट प्रश्न पत्र दिया था जिसमें उन्हें एक-दूसरे के प्रति अपने आकर्षण का अंकों के आधार पर आंकलन करना था.
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इस प्रश्नपत्र में दिए गए अंकों के आधार पर यह कहा गया कि पुरुष अपनी महिला साथी के प्रति कही ज्यादा आकर्षित थे और किसी भी तरह उनके साथ डेट पर जाना चाहते थे या साथ में कुछ क्वालिटी टाइम बिताना चाहते थे. इतना ही नहीं पुरुष दोस्तों को तो यह भी लगता है कि उनकी फ्रेंड उनमें रोमांटिकली इंट्रस्टेड हैं और स्वयं अपनी भावनाओं को पहचान नहीं पा रही हैं.
जबकि दूसरी ओर महिलाओं के अंदर अपने पुरुष साथी के प्रति यह भावना प्रबल रूप से नहीं दिखाई दी. कुछ अधेड़ उम्र के लोगों के लिए एक प्रश्न पत्र बनवाकर यह पूछा गया कि वह लॉ ऑफ अट्रैक्शन के विषय में क्या सोचते हैं तो उनका भी यही कहना था कि आकर्षण की भावना तो लड़का और लड़की के बीच आ ही जाती है. हालांकि पिछले कई वर्षों से अपने साथी के साथ जीवन बिता रहे अधेड़ लोगों में अन्य महिलाओं के प्रति आकर्षण नहीं देखा गया लेकिन सिंगल पुरुष, भले ही उम्रदराज क्यों ना हों, वह तो विपरीत लिंग में दिलचस्पी लेते दिखाई दिए.
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महिलाओं का कहना था कि उन्हें अपने पुरुष साथी से सेक्सुअल अट्रैक्शन तो नहीं है लेकिन वह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने और उन्हें एक बेहतर सलाह देने में सहायक जरूर सिद्ध होते हैं.
सोशल एंड पर्सनल रिलेशनशिप्स नामक विदेशी जर्नल में जल्द ही प्रकाशित होने वाली इस रिपोर्ट के अनुसार यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित किया गया है कि एक लड़का और लड़की दोस्त नहीं हो सकते.
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उपरोक्त अध्ययन को जब भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखा जाएगा तो भी कहीं ना कहीं इसकी स्थापनाओं को सही ही आंका जाएगा क्योंकि प्राय: यही देखा जाता है कि खुद को दोस्त बताने वाले लड़का और लड़की जब ज्यादा समय एक-दूसरे के साथ बिताने लगते हैं तो उनमें शारीरिक आकर्षण का भाव भी पैदा होने लगता है.
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हालांकि सार्वभौमिक तौर पर तो इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन फिर भी इसे पूरी तरह नकार देना भी तो उचित नहीं है.
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