हद हो गई, मैं अब इन्हें और ज्यादा सहन नहीं कर सकती. हर बात पर सवाल करते हैं, बात-बात पर कुछ ना कुछ सुना ही देते हैं, मेरी कहा तो बिल्कुल नहीं मानते, मेरा तो छोड़ो अपना भी कोई काम नहीं करते…प्राय: सभी पत्नियों की अपने पति से ऐसी कुछ शिकायतें जरूर होती हैं. आप की भी होंगी.
शायद आपको हैरानी नहीं होगी कि आप जैसी 72 प्रतिशत ऐसी महिलाएं हैं जो अपने पति की ऐसी ही आदतों के कारण उनसे परेशान होने लग गई हैं. जबकि मात्र 59 प्रतिशत पुरुष ऐसा कहते हैं कि उनकी पत्नी उन्हें इरिटेट करती है.
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लव मैरेज हो या अरेंज्ड दोनों ही तरह के विवाहों में विवाहित जोड़े को एक निर्धारित समय तक एक साथ रहने के बाद एक-दूसरे की कुछ आदतें उन दोनों को ही परेशान करने लगती हैं.
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नेटकैन सोशल रिसर्च द्वारा लगभग 20,000 ब्रितानी महिलाओं पर अध्ययन करने के बाद यह बात सामने आई कि पूरे में से बस कुछ प्रतिशत महिलाएं ही अपने पति के साथ हैप्पी मैरेड लाइफ बिता रही हैं वरना अधिकांश तो उनकी हर छोटी हरकत से परेशान होने लग जाती हैं. जबकि हैरानी की बात तो यह है कि इन सभी महिलाओं में से 98% महिलाओं का कहना है कि वह अपने साथी पर पूरी तरह से भरोसा कर सकती हैं वहीं 96% यह स्वीकार करती हैं कि वह अपनी सारी परेशानियां अपने पति के साथ आसानी से बांट सकती हैं.
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उपरोक्त अध्ययन ब्रिटेन की मॉडर्न और स्वतंत्र विचारों वाली महिलाओं को केन्द्र में रखकर किया गया है. यह बात सभी जानते और समझते हैं कि ब्रितानी सामाजिक व्यवस्था खुली है. आपसी संबंधों का टूटना-बनना बहुत सामान्य सी बात है. वहां जिम्मेदारियों का कुछ खास अर्थ वैसे भी नहीं होता है और अगर वह अपने पति की छोटी-छोटी हरकत से परेशान होती हैं तो इसमें कोई हैरान होने वाली बात तो नहीं है.
लेकिन जब इसे भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखा जाएगा तो शायद इसकी स्थापनाएं थोड़ी अटपटी लगेंगी क्योंकि यूं तो भारतीय महिलाओं को भी अपने पति के गीले तौलिये, उनकी हर बात पर चिक-चिक और तानों से परेशानी होती है लेकिन ‘भारतीय नारी का फर्ज’ जैसे भारी-भरकम शब्द उस पर लाद दिए जाते हैं तो बेचारी पतिव्रता पत्नी के पास उन सारे अनचाही हरकतों को सहन करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं बचता. वह घर में अपने पति और ससुरालवालों की सेवा में जीवन बिताकर ही खुद को कृतार्थ महसूस करती है या यूं कहें उसे ऐसा महसूस करवाया जाता है. वह बेचारी तो अपने आदर्शों और नैतिक संहिता के चक्कर में अपना पूरा जीवन ही अपने ससुराल वालों और पति को सौंप देती है.
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वैसे भी भारतीय समाज में तो महिलाओं को बस एक ही रूप में स्वीकार किया गया है और वो है पराश्रित. पहले पिता पर और फिर पति पर और आखिर में बच्चों पर.
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