यार ये लड़कियां चाहती क्या हैं? जब इन्हें प्यार करो तो इन्हें लगता है हम नाटक कर रहे हैं, जब इनकी सब बात मानो तो इन्हें लगता है इन्हें टालने के लिए ऐसा कर रहे हैं, जब इन पर गुस्सा हो तो इन्हें लगता है हम तो इनसे प्यार ही नहीं करते…एक तरफ तो दुनियाभर की जिम्मेदारी अपने सिर पर उठा लेंगी तो दूसरी ओर खुद को इतना नाजुक बताएंगी कि बस पूछो ही मत…बाथरूम की एक छिपकली से डर जाएंगी लेकिन राह चलते अगर इन्हें कोई छेड़ दे तो यह उसकी मरम्मत तक कर देती हैं…किस बात पर हंसती हैं, किस बात पर रोती हैं, कुछ समझ नहीं आता…..!!!!
प्राय: हर लड़का चाहे वो पति हो या ब्वॉयफ्रेंड अपनी महिला साथी को लेकर बहुत कंफ्यूज रहता है. उन्हें लगता है कि जब लड़के एक समय पर एक बात सोचते हैं तो लड़कियां इतनी जल्दी-जल्दी अपना स्वभाव कैसे बदल लेती हैं? एक समय पर उन्हें कुछ चाहिए होता है तो दूसरे ही समय उनके लिए वो चीज बेकार हो जाती है.
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि लड़कों की तुलना में लड़कियां थोड़ा अलग सोचती हैं, लेकिन वह कितना अलग सोचती हैं या अलग सोचती ही क्यों हैं यह हम आपको बताते हैं:
1. महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा लोगों को समझने की शक्ति थोड़ी ज्यादा रखती हैं. उनके पास कोई चमत्कारी विद्या नहीं है बल्कि यह उनका जैविक गुण है.
2. जब महिलाओं के सामने जटिल परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं या उन्हें खुद के लिए संघर्ष करना पड़ता है तो उनका दिमाग थोड़ी विपरीत दिशा में चलता है. जब वह ज्यादा तनाव में होती हैं तो यह संभावना भी तेज हो जाती है कि उन्हें दौरा पड़ जाए. इसके अलावा संघर्ष के हालातों में उनके भीतर नफरत की भावना विकसित हो जाती है.
3. डर, चिंता और तनाव के दौरान महिलाओं की सोचने-समझने की शक्ति पुरुषों की तुलना में अलग होती है. ऐसी परिस्थितियों में उनके अवसाद ग्रस्त होने की संभावनाएं ज्यादा हो जाती हैं.
4. पुरुषों की तरह महिलाएं कभी आक्रामक व्यवहार नहीं कर सकतीं. जब उन्हें खतरे का आभास होता है तो वह उससे बचने के लिए या खतरे का सामना करने के लिए रणनीति बनाती हैं.
5. गर्भावस्था के दौरान प्रोटेस्टरॉन हार्मोन महिला के दिमाग में आठ हफ्तों में 30 गुना और तेज़ी से बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप इस बीच महिलाओं की बेहोश होने की संभावना ज्यादा हो जाती है.
6. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जहां पुरुषों में किशोरावस्था एक ही बार आती है वहीं महिलाएं दो बार किशोरावस्था का सामना करना करती है. महिलाओं में दूसरी किशोरवस्था की शुरुआत 43 की उम्र में शुरू होती है जो 48 की उम्र तक रहती है. इस किशोरावस्था के दौरान महिलाएं अनियमित मासिक चक्र और नींद ना आने जैसी बीमारी का सामना करती हैं. कई महिलाएं एक किशोरी की भांति व्यवहार भी करने लगती हैं.
7. वृद्धावस्था में महिलाएं दूसरों की मदद करने के लिए पुरुषों से ज्यादा तत्पर होती हैं. पुरुष भले ही यह सब ना करें लेकिन महिलाएं यह सब करने के लिए प्रेरित होती हैं.
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