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शॉपिंग के नाम से क्यों भागते हैं पुरुष

महिलाएं शायद यह बात नहीं जानती कि जब भी उनके मुंह से शॉपिंग का शब्द निकलता है तो उनके पति या ब्वॉयफ्रेंड अपना दिल थाम लेते हैं। अरे भई ऐसा हो भी क्यों ना, आप लोग जब मार्केट जाती हैं तब यकीन मानिए चिंता आपके ब्वॉयफ्रेंड, पति या पिता को होती है, आपकी नहीं बल्कि आपके पर्स में जो पैसे हैं उनकी…..


वैसे इस बात में भी कोई शक नहीं कि जब महिलाएं शॉपिंग से घर लौटकर अपना पर्स टटोलती हैं तो खाली पर्स देखकर उन्हें भी धक्का तो जरूर लगता होगा या फिर जब क्रेडिट कार्ड का बिल या बैंक अकाउंट की डिटेल आती है तब आपको पता चलता है अपनी शॉपिंग में आपने कितने पैसे फिजूल में उड़ा दिए. आप सोचती हैं अगली बार ऐसा नहीं होगा लेकिन जब वो ‘अगली बार’ आता है तब फिर आप अपनी सहेली के साथ जाकर शॉपिंग में उतना या कहें उससे भी अधिक पैसे लुटा आती हैं जितनी पिछली बार उड़ाए थे और यह सिलसिला हर बार चलता रहता है, आपके ना चाहने के बावजूद भी.


फीमेलफर्स्ट डॉट कॉम नामक वेबसाइट और लीवरपूल वन कंपनी द्वारा हुए एक अध्ययन में इस समस्या का समाधान खोजने की कोशिश की गई है. इस अध्ययन में 2000 महिलाओं को शामिल कर यह स्पष्ट किया गया है कि वे महिलाएं जो सहेलियों के ग्रुप में शॉपिंग करती हैं वह अन्य महिलाओं से कहीं ज्यादा पैसे खर्च कर देती हैं. इसके विपरीत अगर महिलाएं अकेले जाती हैं खरीददारी करने तो वे कमपैसे खर्च करके आती हैं. उन दो हजार महिलाओं में से वे महिलाएं जो अकेले शॉपिंग के लिए गईं उनमें से 62% ने यह फर्क महसूस किया.


लीवरपूल की प्रवक्ता का कहना है कि शॉपिंग के लिए अकेले जाना बोरिंग होता है, इसीलिए महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ शॉपिंग के लिए जाना पसंद करती हैं और जब वे अपनी सहेलियों के साथ जाती हैं तो फिर वह खाती-पीती, मौज-मस्ती करती हैं, जिसमें ज्यादा धन व्यय होता है.


उपरोक्त अध्ययन को अगर भारतीय परिदृश्य के अनुसार देखें तो कहीं तक भी ऐसा नहीं कहा जा सकता कि यह अध्ययन सिर्फ विदेशी महिलाओं की जीवनशैली तक ही केन्द्रित है. क्योंकि भारतीय हालात भी कुछ ऐसे ही नजर आते हैं जहां महिलाएं शॉपिंग को ही अपना धर्म बना लेती हैं. कॉलेज की लड़कियां, शादीशुदा महिलाएं, ऑफिस जाने वाली युवतियां सब अपनी सहेलियों के ही साथ शॉपिंग करना पसंद करती हैं और ज्यादा पैसे खर्च कर देती हैं. अगर वे अकेली जाएं तो वह ऐसी कोई चीज नहीं खरीदती जो उन्हें पहली ही नजर में पसंद ना आए. जबकि अगर वो सहेली के साथ हैं तो वह उसकी च्वॉइस या फिर उसकी देखा-देखी कुछ चीजें खरीदकर बाद में पछताती हैं. पैसे की बचत करना बहुत जरूरी है, सहेलियों को टाइम देना, उनके साथ मौज-मस्ती करना भी जरूरी है लेकिन अगर शॉपिंग के अलावा कोई प्लान बनाया जाए तो उसमें बुरा क्या है.



Web Title: Why men afraid of shopping


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