माँ, करुणा की देवी, प्यार का सागर, आदिशक्ति…. शायद इन सब नामों से हम प्राचीन काल से नारी को जानते और पूजते हैं. लोग नारी पर किए गए शोषण और अत्याचारों के प्रति आवाज़ उठाते हैं और समाज में उन्हें बराबरी का हक दिलाने की कवायद करते हैं. हमेशा से पुरुष को महिलाओं के साथ की गयी हिंसा का दोषी पाया जाता है. इसके अलावा घरेलू हिंसा का मुख्य कारण पुरूषवादी सोच होना है और स्त्री को भोग की विषय वस्तु भी बताया जाता था.
परन्तु अब शायद यह धारणाएं बदलने वाली हैं क्योंकि फॉक्स न्यूज़ ने उन 10 क्रूर कामों की सूची निकाली है जो महिलाएं पुरुष के प्रति करती हैं. सुन कर हैरानी होती है लेकिन यह सच है महिलाएं और लड़कियां भी क्रूर हो सकती हैं.
आइए हम ये जानने के लिए कि कैसे लड़कियां पुरुषों की भावनाओं से खेलती हैं और जिनकी यंत्रणा पुरुषों को झेलनी पड़ती है उन दस क्रूर कामों पर उलटे क्रम से नज़र डालते हैं.
10. फोन नहीं उठाना: कभी आपने गौर किया है कि यदि आपकी गर्लफ्रेंड आपका फोन नहीं उठाती तो आप कितना तनाव महसूस करते हैं. वहीं दूसरी तरफ़ अगर आपके पास किसी लड़की का फोन आ गया तो आपकी व्यग्रता का ठिकाना नहीं रहता. इसके अलावा अमूमन यह देखा गया है कि लड़कियां ज़्यादातर लडकों को अपना गलत फोन नंबर देती हैं.
9. मुफ्त शराब पीने में पुरुषों का इस्तेमाल करना: अगर लड़कियाँ पब या क्लबों में जाती हैं तो कोई न कोई लड़का उनकी आवा भगत के लिए तैयार रहता है. लड़कियाँ तो पहले से खर्च ना करने का निश्चय करके जाती हैं और अपने लटकों-झटकों की बदौलत लड़कों को उल्लू बनाती हैं. वह लड़कों से इश्कबाज़ी करती हैं उनसे मुफ्त में शराब या ड्रिंक्स पीती है और काम निकलने पर लड़कों को मिलता है ठेंगा.
8. पुरुषों को प्लेसहोल्डर के रूप में प्रयोग करती हैं: अगर कभी आपकी अपनी गर्लफ्रेंड से लड़ाई हो जाए तो दो चीज़ हो सकती है पहली अगर वह सभ्य है तो वह तुरंत आपको छोड़ देगी लेकिन अगर उसके मन में दोष है तो वह तब तक आपको नहीं छोड़ेगी जब तक उसको कोई दूसरा नहीं मिल जाता और तब तक वह आपकी जेब को निचोड़ देगी. ऐसी स्थिति में वह लड़की आपको प्लेसहोल्डर के रूप में प्रयोग करती है जहाँ वह अपना आधिपत्य साबित करती है.
7. पुरुषों की भावनाओं से खेलना: पुरुष लड़कियों को रोते नहीं देख सकते और इसका फ़ायदा कुछ लड़कियां उठाती हैं. अपने आंसुओं के द्वारा पुरुषों की भावनाओ से खेलना उनको बहुत आता है. दो बूँद आंसुओं के द्वारा वह सब कुछ हासिल कर लेती हैं.
6. शारीरिक हिंसा का प्रयोग करना:अगर कोई पुरुष किसी महिला को मारे या पीटे तो वह पुरुष दूसरों के द्वारा अपराधी की नज़र से देखा जाता है, लेकिन कुछ क्रूर गर्लफ्रेंड अपने बायफ्रेंड को ऐसे मारती हैं जैसे वह उनकी संपत्ति हो. ऐसी लड़कियां यह समझती हैं जैसे वह कुछ भी कर सकती हैं और बदले में उनका बायफ्रेंड उनसे कुछ नहीं बोलेगा.
5. सार्वजनिक जगहों पर आलोचना करना: सार्वजनिक जगहों पर पुरुषों की आलोचना करना, उनका मज़ाक उड़ाना और बातों-बातों में नीचा दिखाना क्रूर महिलाओं की पहचान होती है.
4. अपने रिश्ते को छिपाना: अगर किसी लड़के को प्यार हो जाता है तो दुनियां को पता चल जाता है. परन्तु अगर किसी लड़की को प्यार होता है तो बात छुपी की छुपी रह जाती है. कई लड़कियां अपना रिश्ता छुपाती हैं और किसी रिश्ते में होने पर भी अपने को अकेला बताती हैं और दूसरों से चोंचले करती हैं.
3. वह सेक्स टालती हैं: बहुत सारे पुरुषों के लिए जितनी ज़रुरी वायु होती है उतनी ही ज़रूरत उनको सेक्स की भी होती है. क्रूर महिलाएं पुरुषों को तरसाने के लिये और कुछ पाने के लिए पहले पुरुषों को सेक्स के लिए ललचाती हैं और फिर ऐन मौकों पर सेक्स को टालती हैं तथा पुरुष के धैर्य की परीक्षा लेती हैं.
2. पुरुष की परीक्षा लेती है: समय-समय पर अपने बायफ्रेंड की परीक्षा लेना लड़कियों के स्वभाव में होता है. जैसे अगर कभी आप अपने दोस्तों के साथ जाना चाहते हैं लेकिन तभी आपकी गर्लफ्रेंड की कॉल आ जाती है और अगर वह आपको बेवजह अपने पास बुला रही है तो समझ जाइए वह आपकी परीक्षा ले रही है. लेकिन क्या रिश्तों में परीक्षा लेना ज़रुरी होता है.
1. वह ईर्ष्या को बढ़ाने के लिए इश्कबाज़ी करती हैं: लड़कों को परेशान करने उनको सताने में लड़कियों को मज़ा आता है. अगर कभी आपकी अपनी गर्लफ्रेंड से लड़ाई हो जाए तो वह ईर्ष्या से प्रेरित हो कर दूसरों से इश्कबाज़ी करती है. चाहे जो भी कारण हों जो लड़कियां अपने प्रेमी के सामने दूसरों से इश्कबाज़ी करती हैं.
परन्तु एक सवाल जो इस सूची से उभरकर सामने आता है वह यह है कि क्या भारतीय परिवेश में आप लड़कियों द्वारा पुरुष पर किए जाने वाले इन दस क्रूर कार्यों से सहमत हैं. शायद उत्तर इस बात में छिपा है कि यह सर्वेक्षण फॉक्स न्यूज़ द्वारा कराया गया है जो एक विदेशी संस्थान है और फॉक्स न्यूज़ द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण में किसी भारतीय को शामिल किया गया है या नहीं इसकी पुष्टि भी नहीं की जा सकती है.
हम भारतीय स्त्री को भगवान का तोहफ़ा मानते हैं और प्यार को निभाना भी जानते हैं. इश्कबाज़ी करना, चोंच लड़ाना शायद हमने कभी सोचा भी नहीं अतः क्या इस सर्वेक्षण की मौलिकता पर यह एक सवालिया निशान नहीं लगाता.
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