यूं तो अपने बच्चे के खाने-पीने का ध्यान रखना एक अच्छी बात है लेकिन अपने बेटे को हष्ट-पुष्ट रखने के मकसद में इनके साथ जो हुआ वो कभी किसी के साथ नहीं होना चहिए. इरादा तो था अपने बेटे को स्वस्थ बनाने का पर यही मकसद पड़ गया बेटे की जान पर भारी. जानिए ऐसा क्या किया इन मां-बाप ने…
हिना खताओ व दिपेन खताओ का बेटा ऋषि केवल 4 वर्ष का है लेकिन इतनी कम उम्र में ही उसका वजन 45 किलो है. दिन प्रतिदिन वजन को बढ़ते देख तो डॉक्टरों ने भी यह कह दिया था कि अब ऋषि अपना अगला जन्मदिन नहीं मना पाएगा. लेकिन ऋषि का वजन इतना बढ़ जाने का आखिर कारण क्या था?
जन्म के समय था बेहद कमजोर
ऋषि के पिता दिपेन खताओ का कहना है कि जन्म के समय ऋषि का वजन 2 किलोग्राम भी नहीं था. उसका वजन बढ़ाने व उसे स्वस्थ्य बनाने के लिए उन्होंने ऋषि को खूब खिलाया पिलाया और उसके पहले जन्मदिन आने तक उन्होंने ऋषि की सेहत में सुधार देखा. उसके बाद तो मात्र 6 महीने के भीतर ही ऋषि का वजन कुछ ज्यादा ही तेजी से बढ़ने लगा और उसके दूसरे जन्मदिन आने तक उसका वजन तकरीबन 20 किलोग्राम हो गया जो कि आश्चर्यजनक था.
यह सब देखते हुए दोनों ने ऋषि की डाइट को तकरीबन आधा कर दिया लेकिन उस कारण वो भूख लगने पर रोता था और कई बार तो चिल्लाता भी था. दिपेन का कहना है कि अकसर ऋषि रात को भूख लगने पर उठ जाता था और इसके साथ ही ज्यादा मोटापा आ जाने से उसे सांस लेने में दिक्कत होती थी जिसके फलस्वरूप वो हांफता भी था.
किसी भी उपचार से पड़ नहीं रहा था असर
ऋषि के बढ़ते वजन और दिक्कतों को देख उसके माता-पिता ने उसे डॉक्टर को दिखाने का फैसला किया. डॉक्टर ने ऋषि का खान-पान काफी हद तक कम करने और साथ ही कुछ आसान कसरत करने को कहा लेकिन इससे कोई भी लाभ ना हुआ. प्रतिदिन ऋषि की दिक्कतें बढ़ रही थीं.
फिर एक दिन उनके किसी रिश्तेदार ने उन्हें बेरियाट्रिक (Bariatric) सर्जरी के बारे में बताया जो शरीर में से काफी बढ़ी मात्रा में फैट घटाने में मदद करती है. ऋषि को जल्द ही इस दिक्कत से बाहर निकालने के लिए वे उसे अहमदाबाद एशियन बेरियाट्रिक सेंटर लेकर गए जहां डॉकटर ने ऋषि का ऑपरेशन करने की सलाह दी. और किसी भी तरह का तरीका ना मिलने पर आखिरकार ऋषि के माता-पिता ने उसका ऑपरेशन करवाना ही ठीक समझा जिसकी कीमत कुल 3 लाख रुपए थी.
वो 2 घंटे का वक्त तय करना हमारे लिए बहुत कठिन हो गया था
आखिरकार वो वक्त आया जब ऋषि का ऑपरेशन होना था. उसके पिता दिपेन ने उसकी घबराहट को कम करने के लिए उसे कहा, “डॉकटर तुम्हारे पेट में दो छेद करेंगे और देखेंगे कि तुमने जो जलेबियां खाई हैं वो आखिर कहां छिपाई हैं.”
दो घंटे तक चले उस ऑपरेशन में ऋषि के माता-पिता को उसकी बेहद फिक्र हुई, लेकिन ऑपरेशन सफलतापूर्वक हुआ. डॉकटर ने ऑपरेशन के बाद ऋषि को एक महीने तक सिर्फ तरल आहार पर रखा और उसके बाद भी करीब 4 महीने तक उसे जूस व दाल, सूप खाने को दिया.
और फिर मिला मेहनत का नतीजा
इतना कुछ करने के बाद ऋषि का वजन कम होकर 30 किलोग्राम हुआ जिसके फलस्वरूप वो आराम से सो रहा था और अब उसे सांस लेने में भी कुछ खास तकलीफ नहीं हो रही थी.
दिपेन के पिता ने कहा, “मुझे डर था कि सर्जरी का फैसला कहीं मेरी जिंदगी का सबसे गलत फैसला साबित ना हो जाए लेकिन अब अपने बेटे को अपनी जिंदगी जीते देख मुझे अपने फैसले पर नाज़ है. ऋषि अब खेल सकता है, साइकिल चला सकता है और इतना ही नहीं, वो पानी में आसानी से तैर भी सकता है.”
आज भी अपने वजन को काबू में रखने की निरंतर कोशिश के साथ-साथ ऋषि जलेबियों के लिए अपने प्यार को भूल नहीं पाया है.
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