हम सभी के अंदर एक बच्चे जैसा व्यवहार छिपा होता है जो किसी ना किसी रूप में दुनिया के सामने आता है, फिर चाहे वो 40 की उम्र में भी उछल-कूद करना हो, नन्हें बच्चों की तरह हरकत करना हो या फिर जब चाहे अपना मनपसंद कार्टून ‘टॉम एंड जैरी’ देखना हो. शातिर बिल्ली व नटखट चूहे का यह मेल एकमात्र ऐसा कार्टून है जिसने ना सिर्फ छोटे-छोटे बच्चों का दिल बहलाया बल्कि बड़े व बुजुर्गों को ठहाके लगाने पर मजबूर किया.
यह कार्टून ना केवल हंसाता है बल्कि….
यह सोचकर भी आश्चर्य होता है कि कोई वास्तविकता ना होते हुए भी एक बिल्ली और एक चूहे ने हमें इतनी खुशियां दी है जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते. 2 से 10 वर्ष तक के बच्चों ने यह कार्टून जरूर देखा होगा, और खासतौर पर 20वीं सदी में जन्में बच्चों का यह पसंदीदा शो रहा है. आप ही बताइये आपने किस उम्र तक इस कार्टून को देखा है… 15 साल तक? 20-25 साल तक? या फिर आज भी देखते हैं? टॉम एंड जैरी की मजेदार व खट्टी-मीठी नोकझोंक न केवल हमें गुदगुदाती बल्कि एक सीख भी देती.
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पहली सीख: आकार से फर्क नहीं पड़ता
कार्टून के शुरु होते ही एक तरफ बिल्ली टॉम चूहे जैरी को पकड़ने के लिए भागी आती है और उधर जैरी खुद को बचाने के तरीके ढूंढ़ता है. एपिसोड में टॉम कई बार जैरी को पकड़ भी लेता है, पर फिर भी ना जाने कैसे जैरी बच कर भाग जाता है और कई बार तो वो टॉम को सबक भी सिखाता है. इससे यह साफ जाहिर होता है कि कद चाहे छोटा हो लेकिन यदि आप के अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा है तो आप बड़े-बड़े धुरंधरों को भी मात दे सकते हैं.
दूसरी सीख: अपनों का साथ ना छोड़ना
टॉम एंड जैरी का कोई भी एपिसोड उठा कर देख लो, यह दोनों बिल्ली व चूहा हरदम एक दूसरे की टांग खींचते नजर आते हैं लेकिन इनकी इसी तकरार में छिपा है प्यार. यह दोनों एक दूसरे से कितना भी लड़-झगड़ लें पर अंत में जरूरत पड़ने पर मदद करने को भी तैयार रहते हैं. यदि दो कार्टूनी किरदार प्रेम से रह सकते हैं, तो हम अपने करीबी लोगों को नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं? जरा सोचिये.
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तीसरी सीख: दीमाग से जीतना
जैसा कि हमने बताया कि जैरी छोटे आकार का चूहा है लेकिन फिर भी वो टॉम को मात दे देता है. ऐसा करने के लिए वो कोई बड़ी तरकीब नहीं लगाता बल्कि समय पर अपने दीमाग का सही इस्तेमाल करता है. जैरी की यही खासियत हमें भी समझदार बनने की सीख देती है.
चौथी सीख: कभी हार ना मानें
कई बार कोशिश करने पर भी कोई काम नहीं होता तो हम हार मान लेते हैं लेकिन जैरी ऐसा नहीं करता. उसके साथ ऐसा कई बार हुआ है कि टॉम ने उसे अपना शिकार बना लिया हो, पर फिर भी वो कोशिश कर के बच निकलता है. यदि हम भी खुद पर भरोसा रखें और कभी हार ना मानें व साथ ही हरदम कोशिश करते रहें तो हम जिंदगी की हर एक कठिनाई को हंसते-खेलते पार करे सकते हैं.
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पांचवीं सीख: याद रखें, यह गुस्सा नहीं प्यार है
टॉम और जैरी भले ही कितना झगड़ा कर लें पर फिर भी वे एक दूसरे के पक्के दोस्त हैं. इसीलिए तो कहा जाता है कि अपने ही तो नाराज होते हैं व नाराजगी में गुस्सा निकालते हैं लेकिन हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि यदि वो किसी बात पर निराशा व्यक्त कर रहे हैं तो क्या पता इसमें हमारी खुद की ही भलाई छिपी हो.
छठी सीख: यह है असल जिंदगी जीने का मंत्र
हम लोग आज पैसा कमाने व ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, भाग-दौड़ करते हैं, पर कभी हमने सोचा है कि भविष्य को सुखमय बनाने के लालच में हम अपना आज खराब कर रहे हैं? टॉम व जैरी को ही देख लीजिए, उन्हें दो वक्त का खाना मिले या ना मिले, पर फिर भी वे बची-खुची चीजों में ना केवल गुजारा करते हैं परंतु खुश भी रहते हैं. काश मनुष्य में भी यही गुण होता, तो हमारी जिंदगी से लालच, ईर्ष्या व धोखाधड़ी जैसे विकार जड़ से खत्म हो जाते.
सातवीं सीख: अपनी हार से भी सीखें
टॉम हर बार जैरी को पकड़ने में असफल हो जाता है और अपनी भूल से वो सीखता भी नहीं है जिसके फलस्वरूप वो हर बार वही तरीके अपनाता रहता है. असल में वो जैरी को कोई हानि नहीं पहुंचाना चाहता लेकिन यह तो कार्टून की बात है. यदि इसे हम खुद से जोड़ें तो कम से कम अपनी गलतियों से सीख ले ही सकते हैं.
आठवीं सीख: विनम्रता से बात करें
अब आप सोच रहे होंगे कि टॉम व जैरी कितना झगड़ा करते हैं, एक दूसरे को मारने के लिए दौड़ते हैं, फिर उनमें विनम्रता किस तरह से है? लेकिन इस कार्टून का एक एपिसोड काफी प्रसिद्ध हुआ था जिसमें जैरी एक ‘कैमिकल’ की मदद से बड़ा हो जाता है और फिर टॉम को पाठ पढ़ाता है. इस सबसे टॉम को समझ आता है कि हमें बड़े होने का घमंड नहीं करना चाहिए और अपने से छोटे के साथ विनम्रता से पेश आना चाहिए.
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