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इस महाराजा के क्रिकेट के जुनून ने दिया पटियाला पैग को जन्म

बारादरी गार्डेन वो जगह है जिसका क्रिकेट से पुराना संबंध रहा है; करीब 100 वर्षों पुराना. इस गार्डेन की विशेषता इसके नामों में छुपी है. बारादरी दो शब्दों से बनी है बारा यानी कि बारह और दरी का मतलब दरवाज़े होते हैं. संयुक्त रूप से इसका मतलब बारह दरवाज़ें होते हैं. इसका पैवेलियन लाल रंग के खपरैल से बना है. एक प्रचीन घंटा घर इस गार्डेन की दुर्लभता को सदा आगे बढ़ते सूईयों की तरह बढ़ाता रहता है.


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खैर, यहाँ महाराजा राजिंदर सिंह के कारण क्रिकेट का खेल शुरू हुआ. महाराजा राजिंदर सिंह की इस खेल में गहरी रूचि थी. इसलिए वो पटियाला में विश्व के प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ियों को बुलाते थे ताकि लोगों को क्रिकेट में प्रशिक्षण एवं नई तकनीकों से लैस किया जा सके. उनके बाद इस परंपरा को आगे बढ़ाया महाराजा भूपिंदर सिंह ने. उन्होंने इंग्लैंड में भारत एकादश की तरफ से वर्ष 1911-12 में अनाधिकारिक टैस्ट मैच खेले. वहाँ से लौटने के बाद क्रिकेट उनकी शौक बन गई. उन्होंने रोड्स, न्यूमैन, रॉबिन्सन जैसे महान खिलाड़ियों को पटियाला में आमंत्रित भी किया.



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इस ग्राउंड पर मानसून के बाद यानी अक्टूबर की शुरूआत में टॉमीज कहलाने वाली ब्रिटिश सेना के साथ क्रिकेट मैच खेले जाते थे. वर्ष 1920 में अंबाला छावनी के डगलस एकादश के विरूद्ध खेलते हुए महाराजा ने 242 रनों की लंबी पारी खेली. इस पारी में उन्होंने 16 छक्के और 14 चौंकें लगाए. उस मैदान पर ही दोनों टीमों के लिए लजीज़ रात्रि-भोज की व्यवस्था की गई थी. कहा जाता है कि अपनी विशाल पारी से महाराजा इतने खुश थे कि उन्होंने स्वयं ही गिलासों में व्हिस्की डाल कर पार्टी की शुरूआत कर दी. गिलासों में शराब की मात्रा एक पैग में होने वाली शराब की सामान्य मात्रा की दोगुना थी. जब कर्नल डगलस को चीयर्स कहने के लिए गिलास दी गई तो वो असहज हो गए. उन्होंने उत्सुकतावश महाराजा भूपिंदर सिंह से उस पैग के बारे में पूछा.



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महाराजा ने हँसते हुए जवाब दिया, ‘आप पटियाला में हैं मेरे मेहमान. टोस्ट के साथ पटियाला पैग से कम कुछ भी नहीं चलेगा.’ फिर दोनों ने हँसते हुए शोरगुल के बीच एक ही घूँट में अपना गिलास खाली कर दिया. तब से विभिन्न आयोजनों पर हर शाही मेहमान को पटियाला पैग अनिवार्य रूप से परोसे जाने की परंपरा शुरू हुई.



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शीघ्र ही ‘पटियाला पैग’ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बारों, रेस्त्रां और होटलों की व्यंजन सूची में शामिल हो गई. फिर तो पटियाला पैग इतनी मशहूर हुई कि फिल्मी गानों में इसका प्रयोग किया जाने लगा.  Next…..



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