साल खत्म होने को है. सर्दियों की छुट्टियां बस शुरू ही होने वालीं हैं. ऐसे में कहीं बाहर घूमने जाने की सारी तैयारियां तो आपने कर ही ली होगी? अगर आपका जवाब हां है और सफर के लिए आपने भारत के सबसे पसंदीदा मोड़ यानी भारतीय रेल को चुना है तो हमारी यह कुछ जानकारियां आपके सफर को और भी लजीज बना सकती है.
भारतीय रेल के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है इसकी लेट-लतीफी और कोहरे से भरे सर्द मौसम में तो कोई ट्रेन कितनी लेट हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता. उत्तर भारत की ट्रेने तो इस मौसम में लेट होने के लिए कुख्यात हैं. ऐसे में अगर आपकी ट्रेन किसी छोटे स्टेशन पर रूक गई तो बोरियत की इंतहां हो जाती है, पर इत्तफाक से आपकी ट्रेन इनमें से किसी स्टेशन पर रूकी है तो आप चख सकते हैं भारत के ऐसे अनोखे स्वाद जो इससे पहले आपने कभी न टेस्ट किया होगा.
करी का ख्याल ही मुंह में पानी लाने के लिए काफी है. फिर अगर चिकन करी अंबाला की हो तो फिर कहना ही क्या. अंबाला उत्तर भारत का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है और यहां अधिकतर ट्रेने 5-10 मिनट तक रुकती हैं. अगर आपके सफर के बीच भी अंबाला पड़ता है तो यहां की चिकन करी का स्वाद जरूर लीजिएगा. सच कहते हैं सफर का जाएका बन जाएगा.
2.कटिहार की दही- सर्दी के दिनों में दही खाने का ख्याल शायद आपको उतना न भाए पर यदि दही कटिहार की हो तो किसी भी मौसम में खाई जा सकती है. कटिहार बिहार का एक प्रमुख स्टेशन है जहां दिनभर में पचासों ट्रेन आतीं हैं, पर इस स्टेशन पर हर ट्रेन के हर एक सवारी को खिलाने के लिए दही मौजूद है. स्टेशन पर मौजूद दही की मात्रा देखकर ही समझा जा सकता है कि शहर में दही का कितना उत्पादन होता है.
मालवां फतेहपुर के पास एक छोटा सा स्टेशन है. यहां के पेंड़े क्षेत्र भर में प्रसिद्ध है. मलवा मथुरा तो नहीं है पर जहां तक बात पेंड़ों की है तो मथुरा से कम भी नहीं है.
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4. औणिहार के पकौड़े-अगर आप बनारस-बलिया या बनारस-गोरखपुर रूट पर जा रहें हो तो गाजीपुर जिले का यह स्टेशन अपने ताजे पकौड़े की खुशबू लिए आपका इंतजार कर रहा है. सारनाथ के बाद यह छोटा सा रेलवे जंक्शन अपने पकौड़ों के लिए मशहूर है. ट्रेन रुकते ही आपकी नाक गर्म छन रहे पकौड़ों की खुशबू से भर जाती है और आंखें हर ओर गर्म तेल से निकल रहे पकौड़ों के नजारों से.
5. लालगंज का आलू पकौड़ा- इलाहाबाद से लखनऊ जाने के दौरान रायबरेली के पास एक स्टेशन पड़ता है लालगंज. इस रूट से रोजाना सफर करने वाले लोग लालगंज के पकौड़े खाना नहीं भूलते. ताजी बनाई टमाटर की चटनी के साथ गर्म-गर्म और औसत आकार से कुछ बड़े आलू के पकौडे और मिर्च के पकौड़े खाकर आप बरबस कह उठेंगे, ‘मजा आ गया!’
6. बेलाघाट की ताड़ी– किसी स्टेशन पर अगर अचानक कोई आपके पास ताड़ी बेंचते हुए आ जाए तो चौंकिए नहीं बस यह समझ लीजिए कि आप बक्सर और आरा के बीच में हैं. बिहार के इन दोनों स्टेशनों के बीच में पड़ने वाला यह क्षेत्र में ताड़ी के उत्पादन के लिए जाना जाता है. ताड़ी जिसे अंग्रेजी मे टोडी भी कहते हैं, एक प्राकृतिक पेय है. हालांकि इसे नशे के लिए भी प्रयोग किया जाता है, पर अगर सीमित मात्रा में पी जाए तो यह नुकसानदायक नहीं होती.
7. इलहाबाद के अमरूद- सर्दियों के मौसम में इलाहाबाद स्टेशन पर अगर आप लाल-लाल फल देख रहें हैं तो जरूरी नहीं की वे सेब हों क्योंकि इलाहाबादी अमरूद जब अपने सबाब पर पहुंचते हैं तो उनकी रंगत देख सुर्ख से सुर्ख रंग का सेब शरमा जाए. खैर आप इन अमरूदों की रंगत ही न देखते रहें इन्हें खाकर भी देखें. इन अमरूदों की खुशबू से आपका सफर् अमरूदमय न हो जाए फिर कहना.
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8. बक्सर की पापड़ी- रामायण और भारतीय इतिहास में बक्सर का एक अहम स्थान है पर यह शहर अपने एक लजीज मिठाई के लिए भी मशहूर है. पापड़ी खोने में और देखने में काफी हद तक सोनपापड़ी की तरह ही लगती है बस फर्क इतना होता है कि यह सोनपापड़ी से थोड़ी सख्त होती है. बक्सर की सोनपापड़ी अपने करारेपन के लिए क्षेत्रभर में मशहूर है.
9. बलिया का लिट्टी चोखा- वैसे तो लिट्टी चोखा पूरे उत्तर भारत और मुख्यत: पूर्वी उत्तर प्रदेश औऱ बिहार का एक प्रमुख व्यंजन है पर बलिया के लिट्टी चोखा की तो बात ही अलग है. स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस जिले में अगर आप पहुंचते हैं तो लिट्टी चोखा खाना न भूलिएगा. यह बेहद सस्ता व्यंजन आपकी भूख तो मिटाएगा पर इसका स्वाद आपकी जुबान पर लंबे वक्त तक बरकरार रहेगा.
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