ज़िंदगी और मौत के बीच केवल साँसों का अंतर होता है. नींद दोनों ही स्थितियों में आती है. सोते वक्त साँसों के चलने से व्यक्ति के जीवित होने का पता चलता है जबकि नींद में साँसों के न चलने से व्यक्ति के मृत होने का आभास. लेकिन आप यह जान कर जिज्ञासु हो उठेंगे कि नींद में साँसों के चलने के बाद भी मौत के संकेत मिलते हैं! सपनों में मिले ये संकेत कई बार रोमांचक होती है और कई बार कौतूहल पैदा करने वाली. लेकिन कई बार ये संकेत असल जिंदगी में ठीक वैसे ही घटित हो जाती है जैसा लोग इन्हें अपने सपनों में देखते हैं.
रामायण में वर्णित प्रसंग इस बात की पुष्टि करते हैं कि सपनों की अपनी एक अलग दुनिया होती है. संकेतों की यह दुनिया आभासी होती है. वाल्मीकि रचित रामायण में यह उल्लेख मिलता है कि राजा दशरथ की मृत्यु से पहले उनके कनिष्ठ पुत्र भरत ने स्वप्न में अपने पिता को गाय के गोबर में तैरते देखा. काले कपड़े पहने दशरथ माथे पर सिंदूर का टीका लगाए यमराज की ओर बढ़े चले जा रहे थे.
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लोकमतों पर आधारित स्वप्न के कुछ विशिष्ट संकेत हैं जो सीधे मानवों के जीवन-मरण से जुड़े बताये जाते हैं जैसे सुप्तावस्था में भैंसे या साँड़ का दिखाई देना, रेगिस्तान में यात्रा करना आदि. इसके अलावा कोई भयावह स्वप्न देखते हुए अपने सबसे प्रिय स्वजन का नाम लेकर स्वयं को बचाने की गुहार लगाना.
काली बिल्ली और साँपों का स्वप्न में दिखना भी अशुभ माना जाता है. अशुभ मानी जाने वाली काली बिल्ली के स्वप्न में दिखने को भूत-प्रेत और चुड़ैलों से जोड़कर देखा गया है. स्वप्न में दाँतों का टूटना अपने किसी स्वजन को खोने का बुरा संकेत है. रोते हुए नवज़ात का सपने में दिखना मृत्यु का द्योतक समझा जाता रहा है. पानी में डूबते लोगों का सपनों में दिखना भी खतरे की निशानी मानी जाती है.काफी लंबे समय से स्वप्न-संबंधी ये संकेत लोगों के दिलों में गहरी पैठ बनाए हुए हैं और आज के आधुनिक युग में भी ये किसी सामान्य जनमानस को डराने-सताने के लिए काफी है. Next…..
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