बुद्धिमान होना कोई दो मिनट नूडल्स बनाने का खेल नहीं है. चीजों को समझने, उनके विश्लेषण और फिर प्रतिक्रिया देने की अवधारणा से बुद्धिमानी की परिभाषा को समझने की कोशिश की जा सकती है. बुद्धिमानी मापक(आई.क्यू) के आनुवांशिक होने की वैज्ञानिकों की पूर्व अवधारणाएँ काफी पहले से अपना अस्तित्व खोते जा रही है. इसके बदले वैज्ञानिकों ने नई अवधारणा का प्रतिपादन किया है जिसके अनुसार बुद्धिमानी मापक(आई. क्यू) आनुवांशिक न होकर परिवर्तनशील है जो समय के साथ बढ़ायी जा सकती है. नीचे लिखे कुछ तरीक़े मानसिक दक्षता को बढ़ाने के लिए प्रयोग में लाये जा सकते हैं जो लोगों के व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं.
सुनी हुई बातों के आगे लगायें ?
लोगों को अपने अंदर सुनी गई हर बात पर प्रश्नचिन्ह लगाने की आदत का विकास करना चाहिए. इसके साथ एकमात्र शर्त यह है कि उन्हें उनके सही उत्तरों को खोजने का ईमानदारी पूर्वक प्रयास भी करना चाहिए. इसका मतलब यह है कि विरोधी तर्कों को ध्यान से समझने के पश्चात उनके समानांतर वैकल्पिक तर्कों की खोज की जानी चाहिए. इससे यथास्थित को मान लेने वाले लोगों की अपेक्षा आपकी छवि मस्तिष्क का उपयोग करने वाले लोगों की बन जाती है.
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बुद्धिमानी + विनम्रता = समझदारी
विनम्रता को बुद्धिमानी से जोड़कर देखा जाता है. इसका आधार यह विचार है कि बुद्धिमान इंसान कभी अपनी बुद्धिमानी का दावा नहीं करता क्योंकि वह उन समस्त चीजों के बारे में जानता है जो उसे पता नहीं होती. विनम्रता को पहनावे से जोड़ कर भी देखा जा सकता है. वर्ष 2008 में विस्कोन्सिन विश्वविद्यालय में स्नातक स्तरीय शोधकर्काओं ने महिलाओं पर किये गये एक शोध में यह पाया कि अधिकांश मामलों में शालीन पोशाक पहनने वाली महिलाएँ उन महिलाओं से ज्यादा बुद्धिमान होती हैं जो उत्तेजात्मक रूप से आकर्षक कपड़े पहनती हैं.
नैनों से नैन मिलाएँ
किसी से बातें करते वक्त उसकी आँखों में आँखें डालने की आदत आपके आत्मविश्वास को दर्शाती है जो अंतत: समझदारी से उत्पन्न होती है. इससे यह पता चलता है कि आपका बुद्धिमानी मापक(आई.क्यू) उनसे बेहतर है जो वार्ता के समय आँख से आँख मिला कर बातें कर पाने में असक्षम है.
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बुद्धिमानों की परिधि में रहें
लोगों को बुद्धिमानों के संगत में रहने की कोशिश करनी चाहिए. अपने आसपास जिज्ञासु, ज्ञान पिपासु लोगों के साथ रहने से आपके अंदर सकारात्मक सोच का प्रवाह होते रहता है. यह प्रवाह आपको सदैव अपने सोच को सर्वश्रेष्ठ बनाने की दिशा में काम करने की प्रेरणा देता है.
संदेह को कहें ढ़िच्क्यो
अगर आपको लगता है कि समूह में किसी बात का उत्तर देना बेवकूफी साबित होगी तो किसी महान हस्ती की यह पंक्ति आपको अपने दिमाग में बिठा लेनी चाहिए कि, ‘मूर्ख कहे जाने के भय से चुप रहने से बेहतर होता है अपनी बात कहकर समस्त संदेहों को दूर कर लेना.’Next…..
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