भारत के सभी प्रदेशों और समुदायों में शादी के रस्मों-रिवाज अलग-अलग है और यही भिन्नता इसकी खूबसूरती है. कई जगह तो शादी का उत्सव महीनों तक चलता है. हर रिवाज का अपना वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व है जैसे शादियों में हल्दी की रस्म. यह रस्म दूल्हा-दुल्हन के चेहरे की रंगत को बदल देती है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस रस्म से दूल्हा-दुल्हन दोनों को गुजरना पड़ता है.
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जानिए क्या है हल्दी रस्म: शादी से पहले हल्दी की रस्म होती है. कहा जाता है कि हल्दी दूल्हा-दुल्हन को बुरी नजरों से बचाती है. इस रस्म के बाद दूल्हा-दुल्हन को घर से बाहर नहीं निकलना होता है. हम भारतीय हल्दी को शुभ मानते हैं इसलिए शादी से पहले हल्दी की रस्म अदा कर वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामना देते हैं.
हल्दी लगाने के तरीके: भारत के अलग-अलग जगहों पर हल्दी लगाने के अलग-अलग तरीके हैं. कुछ लोग अपनी इच्छा से हल्दी में चंदन पाउडर, दूध और गुलाब जल मिलाते हैं. पीसी हुई हल्दी को चेहरे, गर्दन, हाथ और पैर पर लगाया जाता है. हल्दी रस्म में दुल्हन और दूल्हे के परिवार वाले शामिल होते हैं. कहा जाता है कि दुल्हन और दूल्हे को कुंवारे लड़की या लड़का हल्दी लगाए तो उनकी भी शादी जल्दी होती है.
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खूबसूरती के लिए: आज की तरह पहले इतने सारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स नहीं थे, इसलिए चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए प्राकृतिक चीज़ों का उपयोग किया जाता था. शोधकर्ताओं का कहना है कि हल्दी से स्किन साफ, सुंदर और चमकदार होती है, क्योंकि हल्दी में एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो स्किन को स्वस्थ्य रखता है.
हल्दी होती है एंटीसेप्टिक: हल्दी एंटीसेप्टिक होती है, इसलिए इसे जलने या कटने पर लगाया जाता है. शादी से पूर्व दुल्हन और दूल्हे को हल्दी इसलिए लगाया जाता है कि कहीं चोट और जलने का निशान हो तो त्वचा पर न रहें.
तनाव से निजात: खूबसूरती बढ़ाने के साथ हल्दी में कुछ ऐसे गुण होते हैं कि यह दुल्हन और दुल्हे के नर्वसनेस को दूर करती है. हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण सिर दर्द और डिप्रेशन को कम करता है….next
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