रोचक तथ्यों को…
पश्चिमी सभ्यता में ‘किस’ करना सामान्य सी बात है. उनका मानना है कि एक-दुसरे को चूमना सामान्य व्यवहार है. लेकिन अध्ययन की माने तो ‘किस’ करना दुनिया के कई संस्कृतियों में नहीं है. यह अध्ययन लॉस वेगास यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर विलियम जानकोवायक की अध्यक्षता में हुआ. इस अध्ययन के अनुसार विश्व की आधे से भी कम संस्कृतियों में चुम्बन का चलन है. कहा जा सकता हैं कि इंसानी प्रकृति ‘किस’ करने की नहीं है. यहाँ तक की जानवरों में भी ‘किस’ करने की प्रवृति नहीं पाई जाती है.
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2013 में वलोडारस्की ने ‘किस’ की प्रवृति पर विस्तार से अध्ययन किया था. अध्ययन में शामिल सैकड़ों लोगों में से ज्यादातर का मानना था कि वे ‘किस’ के वक्त शरीर की सुगंध से एक दूसरे के प्रति आकर्षण और बढ़ जाता है.
इस शोध में दुनिया के 168 संस्कृतियों का अध्ययन किया गया. अध्ययन में 46 प्रतिशत संस्कृतियों में लोग रोमांटिक पलों में एक-दुसरे को ‘किस’ करते हैं. इस अध्ययन से पहले माना जाता था कि 90 प्रतिशत संस्कृतियों में लोग अपने साथी को ‘किस’ करते हैं और यह इंसानी प्रकृति है. ज्ञात हो कि इस शोध में केवल ‘लिप किस’ का अध्ययन किया गया है.
नहीं होता है. उन्होंने यह भी कहा कि चुम्बन पश्चिमी सभ्यता की देन है.
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चुम्बन का इतिहास बहुत पुराना नहीं है. यह हाल-फिलहाल ही चलन में आया है. हालाँकि चुम्बन का बहुत पुराना उदाहरण हिंदु धर्म के वैदिक संस्कृति में मिलता है जो करीब 3500 साल पुराना है. इस शोध ने यह सवाल उठाया है कि वास्तव में चुम्बन इंसान की प्रकृति है या इंसान की खोज?Next…
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