वह अवस्था होती है जब कोई बचपन को यादों में समेट जवानी की दहलीज़ पर दस्तक देने की तैयारी कर रहा होता है. चंचल मन में आकर्षण के बीज अंकुरित होने लगते हैं. घर-परिवार से इतर कोई दोस्त दोस्ती की सीमा से परे आकर दिल के दरवाज़े खटखटाने लगता है. उम्र की परवाह उस वक़्त किसे होती है जब कोई अच्छा लगने लगता है! उसके आकर्षण की तपिश में मन भीग जाता है. भावनाओं की तेज लहरों में डूबते जा रहे मन के इर्द-गिर्द उसकी तस्वीर उभर कर गहराती जाती है. उस समय वो ही चाँद होता है, वही चाँदनी. मन मैथ्स के “सपोज़ दैट”की तरह एक-दूसरे को हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट मानने लगता है.
स्कूलों में पढ़ने के दौरान अक्सर किशोर इस अवस्था से गुजरते हैं. लेकिन किशोरावस्था की दहलीज़ पार करने के बाद की ज़िंदगी में अपने प्यार को अलग चश्मे से देखा जाता है. अपने प्यार के साथ व्यवहार और उन्हें देखने का यह अंतर कैसा होता है? आइये समझें और मुस्कुरायें…
1. आकर्षण के उस दौर में अच्छे लगने वाले ‘उस’ का इंतज़ार सुबह स्कूल पहुँचने के बाद से ही शुरू हो जाती थी. स्कूल की गेट पर नजरें टिकी रहती थी. उसे गेट से अंदर आते देख आँखें दिल को उसके आने का संदेश भेज ओवर टू अल्फा बोल देती थी.
और
अब अपने प्यार का आना-जाना आँखों के लिये आम हो चुका है. आने से पहले दोनों तरफ के कानों में ईयर पीस ठूँसी होती है.
**टेक्नोलॉजी मेक्स लव इज़ी.
2. स्कूल से छुट्टी की घंटी बजते ही कदम उसका पीछा करने लगते थे. विपरीत दिशा में घर होने के बावजूद तब तक उसका पीछा किया जाता जब तक कि वो रिक्शा या बस में बैठ आँखों से ओझल नहीं होते.
और
अब उसका पीछा फेसबुक और व्हाट्स ऐप पर किया जाता है. उसके टाइमलाइन पर पोस्टेड तस्वीरों में उनके साथ वाले लोगों का एक्स रे किया जाता है. इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि उसे कोई गले तो नहीं लगा रहा!
**बीइंग एफबीआई बिहाइंड प्यार.
3. अपने क्रश से नैन मिलाने की जगह छत हुआ करती थी. कपड़े सुखाने, पढ़ने, धूप सेंकने के बहाने किसी तरह छत पर पहुँचने की कोशिश वैसे ही होती जैसे कोई खजाना मिलने जा रहा हो.
और
अब छत की जगह वीडियो कॉल्स ने ले ली है. बस इसके लिये फेसबुक लॉग इन करनी होती है.
**छज्जे-छज्जे वाला प्यार अब फेसबुक-व्हाट्स ऐप वाला प्यार बन गया है.
4. अपने क्रश से कभी मिले चॉकलेट्स, रैपर, ग्रीटिंग्स कार्ड या फूल लंबे समय तक सहेज कर रखे जाते थे.
और
अब उनसे की गयी बातचीत के स्क्रीनशॉट्स रखे जाते हैं. चॉकलेट्स, रैपर, ग्रीटिंग्स कार्ड की जगह अब लॉन्ग ड्राइव, शॉपिंग लेती जा रही है.
** तेरी याद में फोन को हमने दराज़ बना लिया.
5. बर्थडे विश करना हो या नये साल की मुबारकबाद देनी हो उसके लिये केवल ग्लिटर पैन का इस्तेमाल होता था. गिफ्ट फिज़िकल होते थे.
और
अब तो व्हाट्स ऐप और फेसबुक से ही केक भी काटे जाने लगे है बर्थडे गिफ्ट भी भेजे जाने लगे है. डिज़िटल गिफ्ट! है न कमाल का आइडिया!
**प्यार इन डिज़िटल एरा. हाउ रोमांटिक! Next…..
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