मुस्कुराहट सैकड़ों ग़मों को दूर कर सकता है. वो ग़म जो रोजाना आँखें बंद कर भाग रहे लोगों को सताते हैं, उन्हें खोखला करने की कोशिश करते हैं. ग़मों का कारण और असर चाहे जो भी हो लेकिन एक अदद मुस्कुराहट ग़मज़दों को जीने का हौसला प्रदान करते हैं.
दिल्ली के बारे में यह कहा जाता है कि, ‘यह यहाँ रहने वाले लोगों को बहुत कुछ देती है.’ लेकिन हाल ही में दिल्ली के तुर्कमान गेट पर एक मामूली से झगड़े में जो हुआ वह ख़ौफनाक ही नहीं अमानवीय कही जा सकती है. तुर्कमान गेट के पास सड़क पर एक मामूली-सी बात पर पाँच लोगों ने एक व्यक्ति को लोहे की छड़ से पीट-पीट कर मार डाला. मृतक के मासूम बच्चे वहाँ अपने पिता को पिटते देखते रहे लेकिन रोते-बिलखते उन बच्चों पर ना ही राहगीरों को दया आयी और ना ही उन पाँचों हिंसा के अनुयायियों को.
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सोचिये, उस समाज में जहाँ लोग छोटी-छोटी बातों पर जान लेकर ही दम साधते हैं वहाँ मुस्कुराहटों की कितनी जरूरत है. मुस्कुराने में ना ही अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है और ना ही कोई श्रम लगता है. आसान और सस्ता होने के बावजूद क्या एक अदद मुस्कुराहट इतनी दुर्लभ है? आप सड़क पर जाम में फँसे हों या किसी रेलगाड़ी के भीड़-भाड़ वाले डिब्बे में, किसी को कुछ समझाना हो या किसी से कुछ माँगना! ऐसी किसी विषम परिस्थितियों में केवल एक बार मुस्कुरा कर देखिये! एक मुस्कुराहट कई कड़वाहटों को दूर कर सकती है.
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हाँ, अगर आपको मुस्कुराने का कोई कारण ना दिख रहा हो तो विशाखापत्तनम में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी नन्हीं बच्ची की इस मूर्ति की छवि अपने दिमाग में कैद कर लें. निश्चित रूप से आपको लाभ होगा.Next….
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